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Jammu News: 75 वर्ष में विधानसभा में पहुंचे सिर्फ सात कश्मीरी हिंदू, अब गूंजेगी आवाज; केंद्र ने आरक्षित की दो सीटें

वर्ष 2009 और वर्ष 2014 में गठित विधानसभा में एक भी कश्मीरी हिंदू विधायक नहीं था। आजादी के बाद से पांच अगस्त 2019 तक सिर्फ सात कश्मीरी हिंदू घाटी में विधानसभा चुनाव जीत कर विधायक बने हैं। जो चुनाव लड़ा है जमानत जब्त करा बैठा। कश्मीरी हिंदुओं की अहमियत सिर्फ वोट तक या फिर दुनिया को सहृदयता दिखाने तक है।

By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Sun, 17 Dec 2023 06:30 AM (IST)
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75 वर्ष में विधानसभा में पहुंचे सिर्फ सात कश्मीरी हिंदू

 नवीन नवाज, जम्मू। कश्मीरी हिंदुओं के बिना कश्मीर अधूरा है। इस तरह की बातें व दावे अक्सर जम्मू कश्मीर में मुख्यधारा की राजनीतिक दलों के नेता हों या कश्मीर को देश से अलग करने का षड्यंत्र रचने वाले अलगाववादी करते रहते हैं। वास्तविकता क्या है-यह बताने के लिए सिर्फ इतना ही पर्याप्त होगा कि आजादी के बाद से पांच अगस्त 2019 तक सिर्फ सात कश्मीरी हिंदू घाटी में विधानसभा चुनाव जीत कर विधायक बने हैं।

पहले एक भी कश्मीरी हिंदू विधायक नहीं था

वर्ष 2009 और वर्ष 2014 में गठित विधानसभा में एक भी कश्मीरी हिंदू विधायक नहीं था। अब भविष्य में ऐसा कभी नहीं होगा, क्योंकि जब कभी भी विधानसभा का गठन होगा उसमें दो कश्मीरी हिंदुओं को अपने समुदाय का प्रतिनिधित्व करने अवसर मिलेगा। उपराज्यपाल कश्मीरी हिंदू समुदाय के दो योग्य उम्मीदवारों को जिनमें एक महिला होगी को विधायक के रूप में मनोनीत कर पाएंगे।

लोगों के मुंह पर भी ताला लग गया है

संसद के हालिया सत्र में जम्मू व कश्मीर पुनर्गठन संशोधन अधिनियम 2023 पारित हुआ है। इससे उपराज्यपाल को अधिकार मिला कि वह विस्थापित कश्मीरी हिंदू समदाय के दो और गुलाम जम्मू कश्मीर से आकर बसे समुदाय के एक योग्य उम्मीदवार को बतौर विधायक मनोनीत कर सकते हैं। इसके साथ उन लोगों के मुंह पर भी ताला लग गया है जो कह रहे थे कि विधानसभा में अब कभी भी कोई कश्मीरी हिंदू विधायक के रूप में नजर नहीं आएगा।

मतदाता भी अच्छी संख्या में मतदान करें

कश्मीरी हिंदू वेलफेयर सोसायटी के प्रेस सचिव चुन्नी लाल ने कहा कि कश्मीरी हिंदुओं को मनोनयन के आधार पर प्रतिनिधित्व देना या फिर उनके लिए कुछ सीट आरक्षित करना, दोनों में कौन बेहतर है, यह बहस का विषय हो सकता है। जिस तरह से कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों को बांटा है, उसमें किसी कश्मीरी हिंदू या किसी अन्य अल्पसंख्यक का चुनाव जीतना असंभव है। वह तभी चुनाव जीत पाएगा जब उसके क्षेत्र में उसके समुदाय के शत प्रतिशत मतदाताओं के अलावा अन्य दलों व समुदायों से संबंधित मतदाता भी अच्छी संख्या में मतदान करें।

वर्ष 1975 और उसके बाद जब कभी भी विधानसभा चुनाव हुए हैं, सिर्फ दो कश्मीरी हिंदू विधायक बने हैं। इनमें एक पीएल हांडू थे और दूसरे रमन मट्टू। रमन मट्टू वर्ष 2002 में चुनाव जीते थे और उन्हें अन्य दलों का समर्थन था। वर्ष 2009 और वर्ष 2014 के चुनाव में एक भी कश्मीरी हिंदू नहीं जीता। जो चुनाव लड़ा, जमानत जब्त करा बैठा। कश्मीरी हिंदुओं की अहमियत सिर्फ वोट तक या फिर दुनिया को सहृदयता दिखाने तक है। अगर होता तो 76 वर्ष में दो दर्जन विधायक जरूर कश्मीरी हिंदू बने होते।

विधायिका में उनका स्थायी प्रतिनिधित्व रहेगा

राजनीतिक कार्यकर्ता सलीम रेशी ने कहा कि आप रिकार्ड देख सकते हैं, अब तक सिर्फ सात कश्मीरी हिंदू विधायक बने हैं। पीडीपी, कांग्रेस, भाजपा और नेशनल कान्फ्रेंस ने एसएन फोतेदार, खेमलता वाखलू, भूषण लाल बट, विजय बकाया, गिरधारी लाल रैना, सुरेंद्र अंबरदार और दो अन्य कश्मीरी हिंदू विधान परिषद मनोनीत किए गए हैं। अब विधानपरिषद समाप्त हो गई है। ऐसे में कश्मीरी हिंदुओं को मनोनयन के जरिए प्रतिनिधित्व प्रदान करना सही है। इससे विधानसभा में उनके राजनीतिक-सामाजिक आर्थिक हितों पर चर्चा के लिए उनकी सुरक्षा के लिए दो प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। विधायिका में उनका स्थायी प्रतिनिधित्व रहेगा।

ये रहे विधायक

1962: कोठार एमएन कौल

1962: अमीराकदम एसएल सर्राफ,

1962: हब्बा कदल डीपी धर

1967 हब्बा कदल एसके कौल

1967, 1972, पहलगाम मखन लाल

1977,96 पहलगाम पीएल हांडू

2002 हब्बा कदल रमन मट्टू