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'किन्नरों की संख्या कितनी...', जम्मू-कश्मीर HC ने पूछा- सरकार बताए रोहिंग्याओं को निकालने के लिए क्या उठाए गए कदम

Jammu News जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाई कोर्ट ने सरकार ने मौजूदा वक्त में रोहिंग्याओं की स्थिति बताने के निर्देश दिए है। अदालत ने पूछा कि सरकार ने उन्हें उनके देश वापस भेजने के लिए क्या कदम उठाए हैं। हाई कोर्ट ने केंद्रशासित प्रदेश के किन्नरों की संख्या कितनी है इसकी जानकारी देने के लिए भी सरकार को निर्देश दिए हैं।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 27 Mar 2024 10:31 AM (IST)
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Jammu News: 'किन्नरों की संख्या कितनी...', हाई कोर्ट ने पूछा (File Photo)

जेएनएफ, जम्मू। (Jammu Kashmir News) जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह और जस्टिस एमए चौधरी ने मंगलवार को प्रदेश सरकार को आदेश दिए कि वह जानकारी दे कि जम्मू-कश्मीर में अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या नागरिकों को निकालने के लिए केंद्र सरकार ने क्या कदम उठाए हैं।

रोहिंग्या को उनके देश वापस भेजने के लिए क्या उठाए कदम

इसके साथ हाई कोर्ट (Jammu Kashmir High Court) को यह भी बताया जाए कि रोहिंग्या को उनके देश वापस भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन मामले की क्या स्थिति है। चीफ जस्टिस ने यह निर्देश जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील को दिए। बता दें कि वरिष्ठ वकील हुनर गुप्ता ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या नागरिकों को किस प्रकार साजिश के तहत बसाया गया है, उसकी किसी पूर्व जज से जांच करवाई जाए।

प्रदेश सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं की जाएं बंद

इसके अलावा इस याचिका में उन्होंने अवैध तरीके से रहे रहे रोहिंग्या नागरिकों को प्रदेश से बाहर भेजने की भी मांग की है। याचिका में कहा गया है कि जम्मू में अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या नागरिकों के लिए प्रदेश में कोई भी रिफ्यूजी कैंप नहीं है। इसके अलावा अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या नागरिकों को प्रदेश सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं को भी बंद करने की मांग की गई है।

याचिका में कहा गया है कि प्रदेश सरकार की माने तो यहां 13,400 म्यांमार और बांग्लादेशी अवैध तौर से रह रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या कई अधिक है। मुस्लिम देशों जिनमें बांग्लादेश, थाइलैंड और पाकिस्तान ने भी इन रोहिंग्या नागरिकों को शरण नहीं दी है। प्रदेश में भू-माफिया सरकारी विशेषकर वन भूमि, जल स्रोतों पर कब्जा करने के लिए इन रोहिंग्या नागरिकों का प्रयोग कर रहा है।

नागरिकों का इस्तेमाल करने की संभावना

इन विदेशी नागरिकों ने धोखाधड़ी कर राशन कार्ड, वोटर कार्ड और आधार कार्ड जैसे दस्तावेज बना लिए हैं। ये लोग कई देश विरोधी गतिविधियों, विशेषकर मादक पदार्थों की तस्करी और हवाला राशि के लेनदेन में शामिल पाए गए हैं। आतंक प्रभावित जम्मू-कश्मीर में अवैध तरीके से रह रहे इन विदेशी नागरिकों का इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधियों में किए जाने की हमेशा ही संभावना रहती है।

किन्नरों की संख्या का पता लगाए सरकार

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में किन्नरों की सही संख्या का पता लगाने के आदेश हाई कोर्ट ने जारी किए हैं। यह आदेश हाई कोर्ट ने दोनों प्रदेशों में रह रहे किन्नरों को उनके संवैधानिक अधिकारी व कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने को लेकर दायर याचिका पर जारी किए हैं।

चीफ जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह और जस्टिस एमए चौधरी की अध्यक्षता में गठित बेंच ने दोनों प्रदेशों की सरकारों को इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया है।

इससे पहले भी डिवीजन बेंच ने दोनों केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को किन्नरों की संख्या का पता लगाने के निर्देश दिए थे और उसके साथ ही इस संदर्भ में याचिकाकर्ता से भी कहा गया था कि अगर चाहें तो वे भी दोनों प्रदेशों में किन्नरों की संख्या को लेकर दस्तावेज जारी कर सकते हैं।

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बेंच ने इसके साथ ही सरकार को निर्देश जारी किए हैं कि किन्नरों की संख्या को लेकर मीडिया में विज्ञापन दें, जिससे न सिर्फ किन्नरों की संख्या का पता चल पाएगा, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथारिटी की ओर से उन्हें मदद भी मुहैया करवाई जा सके।

किन्नरों की इतनी है संख्या

इस संदर्भ में पहले सरकार से मांगी गई जानकारी में लद्दाख ने बताया था कि उनके क्षेत्र में छह किन्नर हैं, जिनमें चार लेह और दो कारगिल में हैं। इस पर याचिकाकर्ता का कहना था कि यह संख्या इससे अधिक है और उनकी सही से पहचान नहीं करवाई गई। वहीं जम्मू कश्मीर की ओर से भी जानकारी दी गई थी प्रदेश में 550 किन्नर हैं, जिनमें 450 कश्मीर, जबकि सौ जम्मू संभाग में हैं।

इस संख्या पर भी याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुई काउंसिल ने असहमति जताई थी। डिवीजन बेंच ने दोनों प्रदेशों की सरकारों से जिला स्तर पर किन्नरों की संख्या का पता लगाने और डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथारिटी से उन तक पहुंच उन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर सहायता दिलाने के भी निर्देश दिए हैं।

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