Move to Jagran APP

कर्बला के बगल में दिया जाता है अर्घ्य, मुस्लिम भी खाते है छठ का प्रसाद; पूजा के समय घाट पर होते हैं उपस्थित

Giridih News आज हम आपको झारखंड के एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जो नफरत के दौर में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बना हुआ है। लाल बाजार गांव में अनोखे तरीके से छठ का त्योहार मनाया जाता है। कर्बला के बगल में स्थित तालाब में लोग अर्घ्य देने के लिए पहुंचते हैं। मुस्लिम धर्मावलंबी भी पर्व के आयोजन में बढ़-चढ़कर सहयोग करते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Aysha SheikhUpdated: Sat, 18 Nov 2023 11:50 AM (IST)
Hero Image
बीते वर्ष लाल बाजार गांव में छठ पर्व पर अर्घ्य देने के लिए जुटे श्रद्धालुओं का फाइल फोटो
प्रकाश, खोरीमहुआ (गिरिडीह)। मजहबी हिंसा और नफरत के दौर में धनवार प्रखंड का मुस्लिम बहुल गांव लालबाजार गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बना है। यहां त्योहार भी किसी एक धर्म के लोगों का नहीं, बल्कि सबका होता है।

गांव में करीब दो सौ की संख्या में हिंदू धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। अन्य त्योहारों की तरह यहां छठ महापर्व भी धूमधाम से मनाया जाता हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि पहले साधारण तरीके से ही छठ पूजा का आयोजन होता था, लेकिन जैसे-जैसे लोग जागरूक हुए, पूरी तैयारी और साज-सज्जा के साथ पर्व मनाने लगे। वर्तमान में छठ घाट से लेकर करीब डेढ़ से दो किलोमीटर दूर तक लाइटिंग की व्यवस्था रहती है।

कर्बला के बगल में स्थित तालाब में अर्घ्य

कर्बला के बगल में स्थित तालाब में लोग अर्घ्य देने के लिए पहुंचते हैं। छठ घाट की भी आकर्षक ढंग से सजावट की जाती है। व्रती बताते हैं कि मुस्लिम धर्मावलंबी भी पर्व के आयोजन में बढ़-चढ़कर सहयोग करते हैं।

गांव के मुखिया सजरुल अंसारी, पूर्व मुखिया वारिश अंसारी समेत रफीक अंसारी, सद्दाम अंसारी, इलियास अंसारी, दानिश अंसारी, संतोष विश्वकर्मा, संजय राणा, नवीन राणा, अशोक राणा, राजेश दास, लखन दास आदि ने बताया कि लालबाजार में होने वाली छठ पूजा सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है।

मुस्लिम धर्म के लोग बंटाते हैं हाथ

यहां दोनों धर्मों के लोग बढ़-चढ़ कर एक दूसरे के पर्व-त्योहार में भाग लेते हैं और सहयोग भी करते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि छठ में भी साफ-सफाई से लेकर पूजा-पाठ तक में मुस्लिम धर्म के लोग हाथ बंटाते हैं। पूजा के समय छठ घाट पर उपस्थिति भी दर्ज कराते हैं।

रफीक अंसारी, मुस्ताक अंसारी, साबिर अंसारी आदि ने बताया कि हमलोग खुद तो छठ पूजा नहीं करते, लेकिन चढ़ावे के लिए फल-रुपये आदि छठ व्रतियों को भेंट करते हैं। पूजा समाप्त होने के बाद घर जाकर प्रसाद भी ग्रहण करते हैं। इनका कहना है कि हमने मन्नत मांगी थी। वह पूरी हुई तो छठ महापर्व के प्रति आस्था और गहरी हो गई।

मात्र दो सौ की संख्या में हिंदू धर्म के लोग

सरताज अंसारी, सरफराज अंसारी ने बताया कि संतान प्राप्ति को लेकर हमने छठ पर मन्नत मांगी थी। मन्नत पूरी होने पर पांच साल से छठ पूजा में फल-रुपये आदि चढ़ा रहे हैं।

लोगो ने बताया कि धनवार प्रखंड का लालबाजार ही एक ऐसा गांव है, जहां मात्र दो सौ की संख्या में हिंदू धर्म के लोग हैं, लेकिन इसके बावजूद पूरे उत्साह के साथ सभी त्योहार मनाते हैं।

हालांकि यहां के तालाब में छठ घाट नहीं बने होने से लोगों को अर्घ्य देने में थोड़ी परेशानी भी झेलनी होती है। लोगों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से छठ घाट बनवाने की मांग की है।

किसी त्योहार में नहीं बजता लाउडस्पीकर

इस गांव की एक और खास बात यह है कि यहां किसी भी त्योहार में लाउडस्पीकर नहीं बजाया जाता है। ग्रामीण बताते हैं कि पहले पूरे गांव में लाइटिंग के साथ-साथ साउंड और डीजे आदि की भी व्यवस्था होती थी, लेकिन कुछ वर्ष पूर्व छठ पूजा की रात ही अज्ञात वाहन ने गांव में एक व्यक्ति को कुचल दिया।

तेज आवाज होने की वजह से पूरी रात हादसे की जानकारी किसी को नहीं मिली। सुबह लोगों ने सड़क पर शव पड़ा देखा। उस दिन से दोनों समुदायों के लोगों ने सड़क किनारे साउंड नहीं बजाने का निर्णय लिया।

लाल बाजार में छठ पूजा आपसी भाईचारे की मिसाल है। यहां दोनों समुदायों के लोग मिलकर पूजा का आयोजन करते हैं। इसके अलावा भी हर त्योहार में मिलजुल कर एक-दूसरे का हाथ बंटाते हैं। - सजरुल अंसारी, मुखिया, लालबाजार गांव

ये भी पढे़ं -

अनोखा त्योहार है छठ, ले आता है सबको पास; इस परिवार की चार पीढ़ी के 90 सदस्य एक साथ करेंगे पूजा

ट्रेनों के किराए ने छुआ आसमान, मुंबई से पटना आने का किराया 9000 के पार; छठ पर रेलवे की लापरवाही आई सामने

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।