Jharkhand में वेजिटेरियन मटन के दीवाने हैं लोग, कीमत आठ सौ रुपये किलो, सावन में खूब हो रही बिक्री
सावन के महीने में चिकन-मटन से लोग तौबा कर लेते हैं। इस दौरान सात्विक आहार का सेवन किया जाता है। इस दौरान फुटका का भाव मार्केट में गरम रहता है। इसकी बिक्री ढाई सौ रुपये पाव से लेकर आठ सौ रुपये किलो तक होती है। यह बारिश के मौसम में जंगलों में सखुआ पेड़ के नीचे उगता है। इसे उखाड़कर मिट्टी साफ कर बिक्री की जाती है।
जासं, गिरिडीह। सावन में लोगों के घरों में मटन व चिकन का स्थान लेने वाला स्वादिष्ट व्यंजन फुटका का भाव गरम है। इसकी कीमत की अगर बात करें, तो चिकन की बात छोड़िए मटन की कीमत को भी मात दे रहा है।
जंगल से लाकर ऊंची कीमत में बेची जाती है
यह फुटका गरज के साथ बारिश होने के बाद जंगलों में सखुआ पेड़ के नीचे उगता है, जिसे लोग उखाड़कर इसकी मिट्टी को साफ करते हुए बाजार में लाकर इसे ऊंची कीमत पर बेचते हैं।
सावन के माह में इसे घरों में काफी पसंद से खाया जाता है क्योंकि सावन मास में अधिकांश घरों में नॉनवेज का आइटम बनना बंद हो जाता है, ऐसे में स्वाद के लिए मटन से लेकर मछली व मुर्गे के स्थान पर फुटका का लुत्फ उठाया जाता है।
फुटका के आगे फेल है चिकन, मटन
बाजार में वैसे तो ज्यादा जगहों पर फुटका नहीं मिलता है। इसकी बिक्री जेपी चौक से लेकर कालीबाड़ी चौक तक के बीच में ही होता है। यहां फुटका विक्रेता फुटपाथ पर बैठकर इसकी बिक्री करते रहते हैं, जिसे खरीदने के लिए ग्राहक खींचें चले आते हैं।
सावन में मुर्गा से लेकर मछली व मटन की बिक्री मंद पड़ जाती है। इनकी कीमतों में कमी के बावजूद इसकी बिक्री उछाल नहीं ले पाती है। नतीजा इनकी कीमत भी इस फुटके की कीमत के सामने दो माह फेल रहती है।
पाव ढाई सौ, किलो आठ सौ रुपये
बाजार में फुटका की कई दुकानें लगी हैं। सभी दुकानदार इसकी कीमत आपस में ही निर्धारित कर लेते हैं। ऐसे में ग्राहक किसी भी फुटका विक्रेता के पास जाता है तो उसे ढाई सौ रुपये पाव तो आठ सौ रुपये किलो की दर बताई जाती है। यहां कोई मोल मोलाय नहीं होता है। कभी दो सौ रुपये पाव व आठ सौ रुपये किलो भी बेच दिया जाता है।