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रामगढ़ मठ की 17.18 एकड़ जमीन बेचने के लिए अधिकारियों की मदद से तैयार हुए फर्जी कागजात, CID ने दर्ज की FIR

रामगढ़ में मठ की 17.18 एकड़ जमीन को फर्जी डीड के आधार पर बेचने के आरोपों को लेकर सीआईडी ने जांच शुरू कर दी है। मामले में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इस फर्जीवाड़े में रामगढ़ के डीसी से लेकर अंचल अधिकारी तक पर आरोप लगे हैं। अब तक की जांच में सामने आया है कि देवी-देवताओं के नाम पर जमीन बेचने का पूरा खेल रचा गया है।

By Ashish Jha Edited By: Yogesh Sahu Updated: Tue, 24 Sep 2024 09:34 PM (IST)
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रामगढ़ मठ की जमीन बेचने के मामले में सीआईडी जांच शुरू।

आशीष झा, रांची। रामगढ़ में मठ की जमीन को फर्जी डीड के आधार पर बेचने के आरोप सत्य साबित हो रहे हैं। अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) की प्रारंभिक जांच में स्पष्ट तौर पर यह बात सामने आई है कि कुछ अधिकारियों की मदद से फर्जी कागजात तैयार कराए गए और इसके आधार पर राधास्वामी मठ की जमीन बेच दी गई।

शिकायतकर्ता पंकज महतो के अनुसार कुदरू खुर्द थाना के खाता नंबर 77, प्लाट नंबर 1590, 1625 आदि को मिलाकर जमीन 17.18 एकड़ है और यह बेशकीमती है। शिकायतों के आधार पर मामले की जांच सीआईडी से कराई गई तो पूरा प्रकरण खुलकर सामने आ गया।

प्रारंभिक जांच के बाद यह बात भी सामने आई कि जिले के वरीय अधिकारियों की देखरेख में पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया। इस तरह की कोशिशें पहले भी हुई हैं और इसे रोकने के लिए शिकायतें भी नियमित तौर पर हुई हैं।

ऐसी ही शिकायत पर तत्कालीन अंचल अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके अनुसार जमीन राधास्वामी मठ की ही थी और इसके फर्जी कागजात तैयार किए गए थे। इसके लिए पंजी-2 के मूल पृष्ठ को बदलकर नया पेज जोड़ दिया गया था।

हालांकि, 18 फरवरी 2020 को अंचल अधिकारी की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में तमाम गड़बड़ियों का खुलासा हो गया है। उन्होंने इससे संबंधित रसीद की भी जांच की थी, जिसके अनुसार रसीद राधाकृष्ण वगैरह के नाम से निर्गत है। हालांकि तमाम रिपोर्टों को दरकिनार कर प्रशासन ने माफिया का साथ दिया और शिकायतकर्ताओं को जेल भेज दिया।

निर्माण कार्य शुरू हुआ तो ग्रामीणों ने किया विरोध

जमीन पर जब निर्माण कार्य शुरू हुआ तो एक बार फिर ग्रामीणों ने विरोध किया। इसपर कार्रवाई भी हुई। जिला प्रशासन की कार्रवाई में शिकायतकर्ता को हाजत में भेज दिया गया, जबकि जिनके खिलाफ शिकायत की गई थी उन्हें प्रशासन का सहयोग मिलता रहा। मामले में सीआईडी जांच शुरू होने के बाद स्थिति स्पष्ट हुई है।

जमीन घोटाले का जमशेदपुर कनेक्शन

बताते हैं कि जमीन की खरीदारी करनेवाले लोग जमशेदपुर के रहनेवाले हैं और उनका जिले के एक आला अधिकारी से सीधा संपर्क है। यह अधिकारी कुछ दिन पहले जमशेदपुर में तैनात थीं। अधिकारी ने रामगढ़ पहुंचने के बाद इन लोगों की मदद की जिससे इन्हें अवैध जमीन खरीदने में मदद मिली।

वंशावली में देवी-देवताओं के नाम, आधे से अधिक नावल्द

रामगढ़ में मठ की जमीन को हथियाने के लिए ना सिर्फ फर्जी कागजात तैयार कराए गए बल्कि फर्जी वंशावली भी बनवाई गई। सीआईडी रिपोर्ट के अनुसार, पांच से सात पुश्त की वंशावली बनवाई गई। जिसे देखने से ही लगता है कि कहीं बैठकर वंशावली बनाई गई है।

इसमें लोगों के नाम देवी-देवताओं के नाम पर लिखा गया है। मुरली, जगरनाथ, राधाकृष्ण, महावीर, शिव, पार्वती, लक्ष्मी, नारायण आदि लिखे गए हैं। ये सभी 200 से 250 वर्ष पहले के लोग हैं। इनमें से अधिसंख्य नावल्द (संतानहीन) बताए गए हैं। जैसे कि राधाकृष्ण, महावीर, शिव तीनों सुनीत साव के बेटे थे और तीनों नावल्द रह गए।

इसी प्रकार पार्वती देवी, लक्ष्मी देवी और नारायण साहू नावल्द रह गए। ऐसा लगता है जैसे जिस पुश्त के बारे में बताना नहीं था, उसे नावल्द लिख दिया गया। पूरी की पूरी वंशावली आवेदक की स्वघोषणा के आधार पर बनाई गई है।

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