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कंज्यूमर कोर्ट में केस हारी LIC, पीड़िता को 60 दिनों के भीतर देने होंगे 6 लाख रुपये; ये है पूरा मामला

चाईबासा जिला उपभोक्ता आयोग न्यायालय ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए एलआईसी को 60 दिनों के भीतर पीड़िता को छह लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने पीड़िता के मानसिक उत्पीड़न के लिए 50 हजार रुपये और मुकदमे की लागत के लिए 25 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

By Jagran News Edited By: Mohit Tripathi Updated: Tue, 10 Sep 2024 08:47 PM (IST)
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बीमा राशि के भुगतान से जुड़े मामले में उपभोक्ता आयोग न्यायालय का बड़ा आदेश। (सांकेतिक फोटो)

संवाद सहयोगी, चाईबासा। बीमा राशि के भुगतान से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाते हुए चाईबासा की जिला उपभोक्ता आयोग न्यायालय ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) को 60 दिनों के भीतर पीड़ित पक्ष को छह लाख रुपये समेत अन्य देनदारियों का भुगतान करने का फैसला सुनाया है।

क्या है पूरा मामला?

मिली जानकारी के मुताबिक, चक्रधरपुर निवासी एल अन्नपूर्णा ने एलआइसी के खिलाफ अपनी 11 नीतियों के लिए दावा किया था, जिसमें उनके दिवंगत पति एल. सीताराम अंजनेयुलु ने जीवन बीमा योजनाएं ली थी।

पति की मृत्यु के बाद एल. अन्नपूर्णा को नीतियों के लाभों से वंचित किया गया, जिसके कारण उन्हें मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।

उपभोक्ता आयोग में दायर किया था केस

अन्नपूर्णा ने एलआईसी चक्रधरपुर शाखा व उनके एजेंट अंजना देवी और रमेश कुमार शर्मा के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग न्यायालय चाईबासा में केस किया। इसमें उन्होंने 15 लाख रुपये के बीमा दावों के साथ-साथ चार लाख रुपये मानसिक उत्पीड़न के लिए मांग की थी।

क्या थे अन्नपूर्णा के आरोप

उनके अनुसार, एलआइसी एजेंट ने प्रीमियम की राशि ली, लेकिन उसे एलआइसी में जमा नहीं किया। वहीं, शाखा प्रबंधक ने दावा राशि प्राप्त करने के लिए रिश्वत मांगी।

मामले की सुनवाई के दौरान एलआइसी ने तर्क दिया कि सभी नीतियां सैलरी सेविंग स्कीम के तहत थी और नीतियों के प्रीमियम कर्मचारियों के वेतन से सीधे कटौती कर एल एलआइसी में जमा किए गए थे।

एलआइसी ने कोर्ट के सामने रखे ये तर्क

एलआइसी के अनुसार सभी 11 नीतियां अव्यवस्थित थी और किसी भी भुगतान का हकदार नहीं थी। वहीं जिला उपभोक्ता आयोग न्यायालय ने पाया कि एलआइसी के दावों में भी अंतर था और सभी प्रीमियम नियमित रूप से जमा किए गए थे।

कोर्ट ने एलआईसी को दिया ये आदेश

न्यायालय ने एलआइसी को आदेश दिया कि वह अन्नपूर्णा को 6 लाख रुपये का भुगतान करे। साथ ही 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ और 50 हजार रुपये मानसिक उत्पीड़न के लिए तथा 25 हजार रुपये मुकदमे की लागत के लिए मुआवजा दे।

न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि एलआइसी को 60 दिनों के भीतर यह भुगतान करना होगा। उपभोक्ता आयोग न्यायालय ने इस फैसले पर एलआईसी के द्वारा की गई अनुचित व्यापार प्रथाओं पर सवाल उठाए हैं और उपभोक्ता अधिकारों के प्रति उनके प्रतिबद्धता को लेकर गंभीर चिंताएं उत्पन्न की हैं।

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