डिप्रेशन या एंग्जाइटी के लक्षणों को न करें अनदेखा, इलाज और डाइट से किया जा सकता है इसे दूर
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि कोविड की सेकेड वेव पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा खतरनाक रही और उससे भी बड़ी बात ये रही कि इस वेव ने लोगों को शारीरिक परेशानियां देने के साथ ही साथ मेंटली भी बहुत इफैक्ट किया है।
By Priyanka SinghEdited By: Updated: Mon, 12 Jul 2021 09:04 AM (IST)
पोस्ट कोविड परेशानियों की बात करें तो शरीर में कमजोरी और तरह-तरह के लक्षणों के साथ कोविड ने लोगों के शरीर को कई तरह से तोड़ा है, पर वहीं इसने उनको मानसिक तौर पर भी कम प्रभावित नहीं किया। हालांकि जानकारी के अभाव में लोग उन परेशानियों को एंग्जाइटी या डिप्रेशन जैसी प्रॉब्लम्स से जोड़ नहीं पाएं, पर मानसिक तौर पर उनके साथ होने वाले उतार-चढ़ाव बहुत हद तक इन्हीं दोनों दिक्कतों के लक्षण रहे।
डिप्रेशन और साधारण उदासी में क्या है अंतर और इसके लक्षणसाधारण उदासी एक लिमिटेड टाइम ड्यूरेशन की होती है और उसकी एक कोई खास वजह भी हो सकती है, जो संबंधित व्यक्ति को पता हो कि उसे वह बात नहीं अच्छी लगी तो वह उदास है पर डिप्रेशन या एंग्जाइटी के वक्त महसूस होने वाली उदासी लिमिटेड टाइम ड्यूरेशन की नहीं होती। ये लंबे समय तक स्थिर रहती है और धीरे-धीरे पेशेंट के दिलो-दिमाग पर हावी होने लगती है। इसके साथ उसके असर से पेशेंट की नींद भी कम खराब होने लगती है। बेवजह ही लोगों से बात-बात पर चिड़चिड़ापन भी होने लगता है।
एंग्जाइटी या डिप्रेशन किस हद तक हो सकता है खतरनाकअक्सर लोग समाज क्या सोचेगा, इस बात की चिंता करते हुए एंग्जाइटी या डिप्रेशन के लक्षण समझ में आने के बावजूद मनोचिकित्सक की मदद नहीं लेते हैं। ऐसा करके वह अपना ही नुकसान करते हैं क्योंकि खुद से वह अपनी एंग्जाइटी के न तो सही कारण को समझ पाते हैं और न ही उनका सही सॉल्यूशन ढूंढ़ पाते हैं। ऐसे में धीरे-धीरे उनकी एंग्जाइटी बढ़ती है और उनके नॉर्मल बिहेवियर में लगातार किसी न किसी तरह की गिरावट आती ही जाती है। पेशेंट का गुस्सा बढ़ेगा, उसे ज्यादा लोगों से मिलना अच्छा नहीं लगेगा और इसी तरह से एंग्जाइटी के बढ़ते-बढ़ते डिप्रेशन की नौबत आ जाती है और फिर एक दिन पेशेंट हारकर खुद को खत्म करने के बारे में भी सोचने लगता है।
एंग्जाइटी और डिप्रेशन को कैसे करें दूरहेल्दी बॉडी के लिए बैलेंस्ड डाइट का बहुत बड़ा रोल होता है और जाहिर सी बात है कि हमारी बॉडी हेल्दी होगी, तो हमारे अवसादग्रस्त होने के चांसेज भी कम ही होंगे। इसी के साथ कुछ स्पेशल फूड भी हैं जो डिप्रेशन से निजात दिलाने में हमारी बहुत मदद करते हैं। इनमें दूध से बने प्रोडक्ट्स, केला और ऑरेंज जैसे फ्रूट्स और खासतौर पर ग्रीन टी का अहम योगदान है। डिप्रेशन के दौरान हमारे ब्रेन में लगातार कम होने वाले हॉर्मोन (हमें खुश रखने वाला हार्मोन) को फिर से तैयार करने में ग्रीन टी और मिल्क प्रोडक्ट्स का बहुत बड़ा रोल होता है।
(डॉ. रोहन कुमार, MBBS, DPM, FIPS कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट, कानपुर से बातचीत पर आधारित)Pic credit- freepik