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World Contraception Day 2024: गर्भनिरोधकों से जुड़ी इन बातों पर क्या आप भी करते हैं विश्वास? तो आज जान लें इनका सच

गर्भनिरोध फैमिली प्लानिंग और रिप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए बेहद जरूरी है। इसके महत्व और मौजूदा विकल्पों के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिए हर साल 26 सितंबर को World Contraception Day मनाया जाता है। इस मौके पर हम आपको एक्सपर्ट की मदद से गर्भनिरोधकों से जुड़े कुछ आम मिथकों (Myths and Facts About Contraceptive Methods) और उनकी सच्चाई के बारे में बताएंगे।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Thu, 26 Sep 2024 12:58 PM (IST)
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गर्भनिरोधकों से जुड़ी इन बातों पर न करें विश्वास (Picture Courtesy: Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। World Contraception Day 2024: अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने और सही फैमिली प्लानिंग के लिए लोगों को कॉन्ट्रासेप्शन के अलग-अलग विकल्पों के बारे में मालूम होना जरूरी है। सिर्फ कंडोम एकमात्र निरोध का जरिया नहीं है, बल्कि अब ऐसे कई तरीके हैं, जिनकी मदद से अनचाही प्रेग्नेंसी होने से रोका जा सकता है। इसी बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिए हर साल 26 सितंबर को World Contraception Day मनाया जाता है।

हालांकि, आज भी लोगों में गर्भनिरोधकों को लेकर कई गलत जानकारियां (Myths About Contraceptive Methods) फैली हुई हैं, जिनके कारण लोग इनका इस्तेमाल करने में झिझकते हैं। इन गलतफहमियों को दूर करने के लिए हमने डॉ. त्रिप्ति रहेजा (सी. के. बिरला अस्पताल (आर), दिल्ली में प्रमुख सलाहकार - प्रसूति एवं स्त्री रोग) और डॉ. गरिमा साहनी (प्रिस्टिन केयर, को-फाउंडर और वरिष्ठ स्त्री रोग एवं प्रसुति विशेषज्ञ) से बात की। आइए जानें उन्होंने इस बारे में क्या जानकारी शेयर की।

डॉ. साहनी ने बताया कि गर्भनिरोधक के बारे में मिथकों और गलत धारणाओं को दूर करना जरूरी है, ताकि लोग अपनी रीप्रोडक्टिव हेल्थ के बारे में सही और सजग फैसला ले सकें। कई मिथक गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल करने के बारे में भ्रम या डर पैदा कर सकते हैं। इन मिथकों के कारण गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल से लोग झिझकते हैं।

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गर्भनिरोधक से जुड़े कुछ आम मिथक

मिथक 1- गर्भनिरोधक गोलियां बांझपन का कारण बनती हैं।

सच्चाई- गर्भनिरोधक गोलियां बांझपन का कारण नहीं बनती हैं। गोली रोकने के बाद प्रजनन क्षमता आम तौर पर सामान्य हो जाती है, हालांकि नियमित चक्र फिर से शुरू होने में कुछ महीने लग सकते हैं।

मिथक 2- गर्भनिरोधक केवल महिलाओं के लिए हैं।

सच्चाई- पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए गर्भनिरोधक विकल्प मौजूद हैं, जिनमें पुरुषों के लिए मेल कंडोम और नसबंदी शामिल हैं, और महिलाओं के लिए अलग-अलग हार्मोनल और गैर-हार्मोनल विकल्प शामिल हैं।

मिथक 3- ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपको गर्भनिरोधक की जरूरत नहीं होती है।

सच्चाई- जबकि स्तनपान से ओव्यूलेशन में देरी हो सकती है, यह गर्भनिरोधक का कोई सुरक्षित तरीका नहीं है। यदि गर्भावस्था से बचना लक्ष्य है तो एक विश्वसनीय विधि का उपयोग किया जाना चाहिए।

मिथक 4- आईयूडी का उपयोग करने से भविष्य में गर्भवती होना मुश्किल हो जाएगा।

सच्चाई- डॉ. रहेजा ने बताया कि ये बिल्कुल सच नहीं है। आईयूडी रिवर्सिबल होते हैं और भविष्य में फर्टिलिटी को प्रभावित नहीं करते हैं। आईयूडी हटाने के बाद, महिलाएं आम तौर पर बिना किसी समस्या के गर्भ धारण कर सकती हैं।

मिथक 5- एमरजेंसी गर्भनिरोधक गर्भपात का कारण बनता है।

सच्चाई- आपातकालीन गर्भनिरोधक गर्भावस्था को होने से रोकता है और मौजूदा गर्भावस्था को प्रभावित नहीं करता है। यह ओव्यूलेशन में देरी या उसे होने से रोककर काम करता है।

मिथक 6- कंडोम गर्भावस्था को रोकने में 100% प्रभावी होते हैं।

सच्चाई- हालांकि कंडोम सही ढंग से इस्तेमाल किए जाने पर ज्यादा असरदार होते हैं, वे 100% अचूक नहीं होते हैं। गलत इस्तेमाल या टूटने से प्रेग्नेंसी होने की संभावना रहती है।

मिथक 7- महिला मेंसुरेशन के दौरान गर्भवती नहीं हो सकती।

सच्चाई- ऐसा आमतौर पर होता नहीं है, लेकिन संभव है। शुक्राणु कई दिनों तक शरीर के अंदर जीवित रह सकते हैं, और पीरियड्स के कुछ समय बाद ओव्यूलेशन होता है, जिससे प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है।

मिथक 8- गर्भनिरोधक के लंबे इस्तेमाल से आपके स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।

सच्चाई- गर्भनिरोधक गोलियां, आईयूडी या इम्प्लांट्स जैसे गर्भनिरोधक का लंबे समय तक इस्तेमाल महिलाओं के लिए आम तौर पर सुरक्षित होता है। बल्कि इनके कुछ फायदे भी हो सकते हैं, जैसे ओवेरियन कैंसर के जोखिम को कम करना।

मिथक 9- विड्रॉल या कैलेंडर ट्रैकिंग जैसे नेचुरल तरीके भी गर्भनिरोध जितने ही प्रभावी होते हैं।

सच्चाई- ह्यूमन एरर और ओव्यूलेशन साइकिल में कुछ बदलाव के कारण ये नेचुरल तरीके आधुनिक गर्भनिरोधकों की तुलना में बहुत कम असरदार हो सकते हैं।

मिथक 10- गर्भनिरोधक से वजन बढ़ने लगता है।

सच्चाई- ऐसा सच नहीं है। कुछ तरीकों से वजन में थोड़ा बदलाव हो सकता है और इनका असर हर व्यक्ति के लिए अलग होता है और आमतौर पर मामूली होता है। हार्मोनल गर्भनिरोधकों को अक्सर गलत तरीके से लेने की वजह से कैंसर का जोखिम रहता है। हालांकि, शोध से पता चला है कि ये गर्भनिरोधक अगर डॉक्टर की सलाह से लिए जाएं, तो सुरक्षित हैं।

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