MP News: 16 को फिर आएंगे अपने गृहनगर उज्जैन CM मोहन, शहर को फिर रोल मॉडल बनाने का विजन करेंगे साझा
मुख्यमंत्री डॅा.मोहन यादव 16 दिसंबर को फिर अपने गृहनगर उज्जैन आएंगे। वे लोगों से अपने मन की बात कहेंगे और उज्जैन को विकास का विश्वस्तरीय रोल माडल बनाने का दृष्टिकोण (विजन) साझा करेंगे। भारतीय जनता पार्टी ने 100 से अधिक मंचों से उनका जोरदार स्वागत कराने महाकालेश्वर मंदिर से रैली निकालने और पार्टी कार्यालय पर सभा कराने की तैयारी शुरू कर दी है।
By Jagran NewsEdited By: Paras PandeyUpdated: Thu, 14 Dec 2023 03:00 AM (IST)
जेएनएन,उज्जैन। मुख्यमंत्री डॅा.मोहन यादव 16 दिसंबर को फिर अपने गृहनगर उज्जैन आएंगे। वे लोगों से अपने मन की बात कहेंगे और उज्जैन को विकास का विश्वस्तरीय रोल माडल बनाने का दृष्टिकोण (विजन) साझा करेंगे। भारतीय जनता पार्टी ने 100 से अधिक मंचों से उनका जोरदार स्वागत कराने, महाकालेश्वर मंदिर से रैली निकालने और पार्टी कार्यालय पर सभा कराने की तैयारी शुरू कर दी है।
महापौर मुकेश टटवाल ने इसके मद्देनजर शहर की उम्दा साफ-सफाई कराने के निर्देश निगम अधिकारियों को दिए हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने के लिए भारत संकल्प यात्रा का शुभारंभ कराने को भी कहा है। पार्टी के नगर अध्यक्ष विवेक जोशी ने कार्यकर्ताओं को स्वागत एवं सजावट की जिम्मेदारियां सौंपी है।
महाकालेश्वर मंदिर से रैली निकालने की तैयारी शुरू
मालूम हो कि उज्जैनवासियों को उन्हीं के बीच पले-बड़े नए मुख्यमंत्री डॅा.यादव से काफी उम्मीदें हैं। हर कोई अपनी लाइफ स्टाइल बेहतर बनाने के लिए उज्जैन का चहुंमुखी विकास चाहता है। शिवराज सरकार ने भी इसके लिए काफी प्रयास किए थे और वे प्रयास काफी हद तक सफल भी हुए, मगर सतत विकास की धारा में कुछ काम फिर भी अधूरे रह गए।एयरपोर्ट, सरकारी मेडिकल कालेज, फ्रीगंज समानांतर पुल, रोप-वे, महाकाल सवारी मार्ग चौड़ीकरण, मेडिकल डिवाइस पार्क, आइआइटी इंदौर का सैटेलाइट कैंपस, शिप्रा शुद्धीकरण के लिए कान्ह डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना सहित आवास मिशन, अमृत मिशन, जल जीवन मिशन, स्मार्ट सिटी मिशन के कई ऐसे काम हैं, जिनके पूरा होने का इंतजार यहां के लोग कर रहे हैं।
सबसे प्रमुख 2017 में शिप्रा की शुद्धि के लिए शुरू की 436 करोड़ रुपये की भूमिगत सीवेज पाइपलाइन परियोजना और कमजोर एवं निम्न आय वर्ग के लोगों को किफायती दर पर आवास उपलब्ध कराने को शुरू की अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट ऐसे ही उदाहरण हैं, जो कायदे से 2019 में पूरे हो जाने थे मगर लापरवाही के कारण आज तक अधूरे हैं।
शहर की आधी आबादी आज भी पानी के लिए निजी बोरिंग, कुएं और हैंडपंप पर निर्भर है। परिणाम स्वरूप भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन होने से जमीनी पानी पाताल में जा रहा है। गड़बड़ाई यातायात व्यवस्था और लगातार खराब हो रही आबो-हवा सुधारना चुनौती है।
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