सच के साथी सीनियर्स: मध्य प्रदेश के भोपाल में वरिष्ठ नागरिकों को मिला फैक्ट चेकिंग का प्रशिक्षण
जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चेकिंग विंग विश्वास न्यूज ने सच के साथी सीनियर्स अभियान के तहत भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के एमपी नगर स्थित पुराने परिसर में कार्यशाला का आयोजन किया। सोशल मीडिया यूजर्स अक्सर इस पर साझा होने वाली फेक व भ्रामक सूचनाओं को सच मानकर आगे बढ़ा देते हैं जिससे फर्जी व भ्रामक सूचनाएं तेजी से फैलती हैं।
ऑनलाइन डेस्क, भोपाल। सोशल मीडिया यूजर्स अक्सर इस पर साझा होने वाली फेक व भ्रामक सूचनाओं को सच मानकर आगे बढ़ा देते हैं, जिससे फर्जी व भ्रामक सूचनाएं तेजी से फैलती हैं। इन्हें रोकने के लिए हमें जिम्मेदार होना पड़ेगा और जांच के बाद ही हमें सूचनाओं को फॉरवर्ड करना चाहिए।" मध्य प्रदेश के भोपाल में आयोजित कार्यशाला में विश्वास न्यूज के फैक्ट चेकर्स ने फैक्ट चेकिंग की अहमियत पर जोर देते हुए वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय धोखाधड़ी , डिजिटल सेफ्टी, वोटर जागरूकता और डीपफेक से बचने के तरीकों के बारे में प्रशिक्षित किया।
जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चेकिंग विंग विश्वास न्यूज ने सच के साथी सीनियर्स अभियान के तहत भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के एमपी नगर स्थित पुराने परिसर में कार्यशाला का आयोजन किया।
सूचना का सही सोर्स पता करना बहुत जरूरी
विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयोजित सेमिनार में डिप्टी एडिटर देविका मेहता ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए सही सोर्स के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी भी सूचना का सही सोर्स पता करना बहुत जरूरी होता है। अगर सोर्स का पता चल जाए तो उस सूचना की सच्चाई का पता लगाया जा सकता है और असलियत पता चलते ही फर्जी व भ्रामक सूचनाओं की चेन को तोड़ा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि कुछ सूचनाएं विशेष एजेंडा के तहत प्रसारित की जाती हैं। ऐसे में सबको जागरूक बनने की जरूरत है। किसी भी फिशिंग लिंक पर बिना सोर्स की जांच किए क्लिक करने से आप वित्तीय धोखाधड़ी के शिकार हो सकते हैं। देविका ने रोचक उदाहरणों के माध्यम से वहां मौजूद लोगों को सच, राय और अफवाह में अंतर करना समझाया।
AI की मदद से बनने वाले डीपफेक वीडियो के बारे में मिली जानकारी
देविका मेहता ने प्रतिभागियों को एआई टूल्स की मदद से बनने वाले डीपफेक वीडियो और उससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आजकल कुछ लोग नामी व चर्चित शख्सियतों के डीपफेक वीडियो बनाकर गेमिंग ऐप या बेटिंग ऐप का प्रचार कर रहे हैं। इस तरह के वीडियो को पहचान करना बहुत जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि आप उन्हें ध्यान से देखें। उनके चेहरे के हावभाव या लिप सिंक को देखकर उनकी असलियत का पता लगाया जा सकता है।
फेक न्यूज की पहचान करने के बताए गए तरीके
वहीं, चीफ सब एडिटर और फैक्ट चेकर प्रज्ञा शुक्ला ने फेक न्यूज की पहचान के तरीके बताएं। साथ ही उन्होंने लोगों को फैक्ट चेकिंग टूल्स के इस्तेमाल के बारे में प्रशिक्षित किया। प्रज्ञा ने वित्तीय धोखाखड़ी से बचने के लिए लोगों को सतर्क रहने को कहा। उन्होंने कहा कि किसी भी लुभावने मैसेज के साथ आए फिशिंग लिंक्स पर क्लिक मत करें। साथ ही अपने अकाउंट का पासवर्ड और ओटीपी के साथ शेयर न करें। उन्होंने फैक्ट चेकिंग टूल्स की मदद से सूचनाओं की जांच करना भी सिखाया। अंत में उन्होंने सभी से जागरूक मतदाता बनने की अपील की।
कई राज्यों में हो चुका है आयोजन
इससे पहले हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और तेलंगाना में सेमिनार व वेबिनार के माध्यम से लोगों को फैक्ट चेकिंग का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। गूगल न्यूज इनिशिएटिव (जीएनआई) के सहयोग से संचालित हो रहे इस कार्यक्रम का अकादमिक भागीदार माइका (मुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशंस, अहमदाबाद) है।
अभियान के बारे में
'सच के साथी सीनियर्स' भारत में तेजी से बढ़ रही फेक और भ्रामक सूचनाओं के मुद्दे को उठाने वाला मीडिया साक्षरता अभियान है। कार्यक्रम का उद्देश्य 15 राज्यों के 50 शहरों में सेमिनार और वेबिनार की श्रृंखला के माध्यम से स्रोतों का विश्लेषण करने, विश्वसनीय और अविश्वसनीय जानकारी के बीच अंतर करते हुए वरिष्ठ नागरिकों को तार्किक निर्णय लेने में मदद करना है। इसमें रजिस्ट्रेशन करने के लिए www.vishvasnews.com/sach-ke-sathi-seniors/ पर क्लिक करें।