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दो साल से नहीं हो रही थी सुनवाई तो याचिकाकर्ता ने जज को भेज दिया पर्सनल ईमेल, परेशान हुई पीठ

याचिकाकर्ता द्वारा न्यायाधीश को व्यक्तिगत ईमेल भेजने के बाद बॉम्बे HC की पीठ ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति पटेल ने कहा कि मामला कितने भी समय तक लंबित रहे लेकिन कोई न्यायाधीशों को इस तरह के व्यक्तिगत ईमेल नहीं भेज सकता।अदालत ने याचिका को दूसरी पीठ के समक्ष रखने का निर्देश दिया।न्यायमूर्ति पटेल ने कहा कि वह इस मामले को कभी नहीं देखेंगे।

By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Wed, 13 Dec 2023 04:41 PM (IST)
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दो साल से नहीं हो रही थी सुनवाई तो याचिकाकर्ता ने जज को भेज दिया पर्सनल ईमेल (Image: file)

पीटीआई, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। दरअसल, याचिकाकर्ता ने सुनवाई की मांग के लिए न्यायमूर्ति गौतम पटेल को व्यक्तिगत ईमेल भेजे थे, जिससे वह काफी परेशान हो गए।

जब याचिका दायर की गई, तो न्यायमूर्ति पटेल और न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। साथ ही याचिकाकर्ता के वकील को याचिकाकर्ता द्वारा भेजे गए ईमेल के बारे में भी सूचित किया।

याचिकाकर्ता ने मांगी माफी

याचिकाकर्ता वकील कंचन पमनानी ने इसके लिए जजों से माफी मांगी और कहा कि उन्हें इन ईमेल के बारे में जानकारी नहीं थी। उन्होंने अदालत से याचिका पर सुनवाई करने का आग्रह किया, लेकिन पीठ ने इससे इनकार कर दिया। हालांकि, मेल भेजने वाला याचिकाकर्ता भी अदालत के समक्ष उपस्थित हुआ और उसने माफी मांगी।

याचिका में की गई थी ये मांग

कुछ दृष्टिबाधित व्यक्तियों द्वारा दायर याचिका में केंद्रीय कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को अपनी वेबसाइट को दृष्टिबाधित लोगों के लिए अधिक सुलभ बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है।

भेजा निजी मेल

याचिकाकर्ताओं में से एक ने न्यायमूर्ति पटेल को ईमेल में उच्च न्यायालय से इस मुद्दे पर गौर करने का आग्रह किया और कहा कि याचिका पर दो साल से सुनवाई नहीं हुई है। इससे जस्टिस पटेल नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि इस तरह के निजी ईमेल जजों को नहीं भेजे जाने चाहिए।

न्यायमूर्ति पटेल ने सुनवाई से खुद को किया दूर

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति पटेल ने कहा कि मामला कितने भी समय तक लंबित रहे लेकिन कोई न्यायाधीशों को इस तरह के व्यक्तिगत ईमेल नहीं भेज सकता। अदालत ने याचिका को दूसरी पीठ के समक्ष रखने का निर्देश दिया। साथ ही न्यायमूर्ति पटेल ने कहा कि वह 'इस मामले को कभी नहीं देखेंगे।' न्यायमूर्ति पटेल ने आगे कहा, 'मैं इस मामले को कभी नहीं देखूंगा। सोचिए अगर मैं इस पर सुनवाई करू और एक अनुकूल आदेश पारित करूं तो भेजा गया संदेश यह होगा कि आप न्यायाधीशों को व्यक्तिगत ईमेल भेजें तो आपको अनुकूल आदेश मिलेंगे।'

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