Maharashtra Politics: 'मंत्री छगन भुजबल का इस्तीफा नहीं हुआ स्वीकार, फडणवीस बोले- सीएम शिंदे बताएंगे क्या है इसके पीछे का कारण
फडणवीस ने कहा कि इस्तीफा न स्वीकार करने पर मुख्यमंत्री शिंदे ही स्पष्टीकरण देंगे। पत्रकारों से बात करते हुए फड़णवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री इस पर स्पष्टीकरण दे पाएंगे लेकिन मैं अभी केवल इतना ही कह सकता हूं कि भुजबल का इस्तीफा मुख्यमंत्री या मैंने स्वीकार नहीं किया है। इस्तीफा देने वाले भुजबल ने ओबीसी के कोटा में मराठा समुदाय को गलत तरीके से आरक्षण देने का आरोप लगाया था।
एजेंसी, मुंबई। Maharashtra Politics महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल का इस्तीफा अस्वीकार कर दिया गया है। ओबीसी के मुद्दे पर इस्तीफा देने वाले भुजबन पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है।
भुजबल का इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ
फड़णवीस ने कहा कि इस्तीफा न स्वीकार करने पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ही स्पष्टीकरण दे पाएंगे। पत्रकारों से बात करते हुए फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री इस पर स्पष्टीकरण दे पाएंगे, लेकिन मैं अभी केवल इतना ही कह सकता हूं कि भुजबल का इस्तीफा मुख्यमंत्री या मैंने स्वीकार नहीं किया है।
भुजबल ने नवंबर में दिया था इस्तीफा
भुजबल ने महाराष्ट्र सरकार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कोटा में मराठा समुदाय को "पिछले दरवाजे से प्रवेश" देने का आरोप लगाया था और कहा था कि उन्होंने पिछले साल 16 नवंबर को राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।उन्होंने आगे कहा कि वह दो महीने से अधिक समय तक चुप रहे क्योंकि मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम ने उनसे इस बारे में नहीं बोलने को कहा था।
भुजबल ने कही थी ये बात
राकांपा के अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट के भुजबल ने शनिवार को कहा कि वह मराठों को आरक्षण मिलने के विरोध में नहीं हैं, लेकिन ओबीसी के लिए मौजूदा कोटा साझा करने के खिलाफ हैं।उन्होंने कहा कि मैं जीवन भर ओबीसी के कल्याण और उनके अधिकारों के लिए काम करता रहूंगा। मेरे इस्तीफे की मांग करने या मुझे बाहर निकालने की कोई जरूरत नहीं है, जैसा कि कुछ विपक्षी नेता और मेरे गठबंधन के लोग मांग कर रहे हैं। मैंने पिछले साल 16 नवंबर को इस्तीफा दे दिया था।
वहीं, एकनाथ शिंदे खेमे के एक शिवसेना विधायक ने कहा था कि समाज में दरार पैदा करने की कोशिश के लिए भुजबल को बर्खास्त किया जाना चाहिए। भुजबल ने सरकार पर मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे की मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है।
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