'सभी बड़ी पार्टियों ने भुनाए चुनावी बांड...', वित्त मंत्री ने कहा- इस मुद्दे पर किसी को कुछ कहने का नैतिक अधिकार नहीं
Finance Minister Nirmala Sitharaman एक मीडिया समिट के दौरान एक प्रश्न का उत्तर देते हुए वित्त मंत्री ने कहा इस कानून को संसद ने पारित किया था। चुनावी बांड उस समय के कानून के अनुसार खरीदे गए थे। सीतारमण ने साफ किया कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने जा रही हैं। उन्होंने बताया कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनसे लोकसभा चुनाव लड़ने के बारे में पूछा था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी बांड भुनाए हैं। इस मुद्दे पर किसी को कुछ कहने का नैतिक अधिकार नहीं है, क्योंकि यह कानूनी था। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए और बहस करने की जरूरत है, ताकि चुनावी फंडिंग को लेकर कोई बेहतर व्यवस्था बनाई जा सके।
एक मीडिया समिट के दौरान एक प्रश्न का उत्तर देते हुए वित्त मंत्री ने कहा, इस कानून को संसद ने पारित किया था। चुनावी बांड उस समय के कानून के अनुसार खरीदे गए थे। सीतारमण ने साफ किया कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने जा रही हैं। उन्होंने बताया कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनसे लोकसभा चुनाव लड़ने के बारे में पूछा था। आंध्र प्रदेश या तमिलनाडु की सीट से उन्हें चुनाव लड़ने की पेशकश की गई थी। लेकिन 8-10 दिनों तक इस बारे में सोचने के बाद उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया।
'इसलिए मैंने चुनाव लड़ने से किया मना'
वित्त मंत्री ने कहा, चुनाव में जिस तरीके से पैसे खर्च किए जाते हैं, उस हिसाब से मेरे पास पैसा नहीं है। मुझे इस बात को लेकर भी दिक्कत है कि चुनाव में समुदाय व धर्म जैसी चीजों को जीत तय करने का आधार बनाया जाता है। इसलिए मैंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया और मेरे लिए यह खुशी की बात है कि पार्टी अध्यक्ष भी मेरे विचार से सहमत हो गए।सीतारमण ने कहा कि राज्यों को पुरानी पेंशन स्कीम के नाम पर मतदाताओं को ललचाने का काम नहीं करना चाहिए। उनका इशारा उन राज्यों की तरफ था, जिन्होंने वोट पाने के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का वादा किया है।
'प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाना होगा'
वित्त मंत्री ने बताया कि पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से गठित समिति ने सभी पक्षकारों से बात की है। उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए केंद्र और राज्य को साथ मिलकर काम करना होगा, क्योंकि सुधार करना सिर्फ केंद्र का काम नहीं है। प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाना होगा। उन्होंने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर, निवेश, इनोवेशन और समावेशी विकास के चार कारकों से ही देश को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाया जा सकता है। सरकार इसे ध्यान में रखकर ही काम कर रही है। वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर 2024-25 तक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले खर्च में 433 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। इन्फ्रा पर खर्च करके सरकार निजी निवेश लाने में सफल हुई है।