सभी पालतू हाथियों को अब जल्द मिलेगी आधार जैसी यूनिक आइडी, करीब तीन सौ हाथियों की हुई DNA प्रोफाइलिंग
दिल्ली सहित सात राज्यों में सफल पायलट प्रोजेक्ट के बाद वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने अब इसे देश भर में तेजी से लागू करने की योजना बनाई। पालतू हाथियों को डीएनए प्रोफाइलिंग के जरिए दिया जाएगा एक यूनिक पहचान नंबर देश में अभी है करीब तीन हजार पालतू हाथी-
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। हाथियों की अवैध तरीके से होने वाली खरीद-बिक्री सहित उनके अंगों की होने वाली तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पालतू हाथियों की डीएनए प्रोफाइलिंग के प्रोजेक्ट को अब तेजी से आगे बढ़ाने का फैसला लिया है। जिसके तहत सभी पालतू हाथियों को आधार जैसे एक यूनिक पहचान नंबर से लैस किया जाएगा।
तीन सौ हाथियों की ली गई डीएनए प्रोफाइलिंग
फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड व पंजाब सहित सात राज्यों में शुरू किया गया यह काम पूरा हो गया है। इन राज्यों में पाए जाने वाले करीब तीन सौ हाथियों की डीएनए प्रोफाइलिंग कर ली गई है। हालांकि देश में करीब तीन हजार पालतू हाथी है। हाथियों के संरक्षण से जुड़ी परियोजना के तीस साल पूरा होने के मौके पर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने यह पहल की है।
हाथियों पहचानना आसान हो जाएगा
माना जा रहा है कि इस कदम से पालतू और जंगली हाथियों के बीच पहचान हो सकेगी। साथ ही यह भी पहचानना आसान हो जाएगा कि कौन सा हाथी किसका है। अभी पालतू हाथियों को पहचानने का बड़ा संकट है। क्योंकि यह जैसे-जैसे बढ़ते है वैसे इनका आकार भी बदलता जाता है। साथ ही तस्करी होने वाले हाथियों के अंग को पकड़ने के बाद अभी यह पहचान भी नहीं हो पाती है कि यह अंग किसी हाथी के है।
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का मानना
हालांकि मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि डीएनए प्रोफाइल के जरिए तैयार होने वाले इस यूनिक पहचान नंबर से यह समस्या खत्म हो जाएगी। मौजूदा समय में सबसे ज्यादा पालतू हाथी केरल और असम में है। इनकी संख्या सात सौ से एक हजार के बीच है।
हाथियों के संरक्षण की परियोजना
मंत्रालय के इसके साथ ही हाथियों के रखरखाव को लेकर भी बेहद संजीदा है। इसे लेकर उसने एक नई गाइडलाइन भी तैयार की है, जिसमें पालतू हाथियों को रखने वालों को अब उनके नहाने के लिए स्वीमिंग पूल और रहने के लिए शेड की अनिवार्य रूप से व्यवस्था करनी होगी। बता दें कि देश में हाथियों के संरक्षण की यह परियोजना 1992 में शुरू की गई थी। इस दौरान जिन राज्यों में पालतू हाथियों की डीएनए प्रोफाइलिंग किया गया है, उनमें दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड,पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा शामिल है।
हाथियों के गलियारों को केंद्र करेगा अधिसूचित, अब 87 की पहचान
हाथियों के संरक्षण के लिहाज से वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने एक और अहम कदम उठाया है। जिसमें वह इनके सभी पारंपरिक गलियारों के संरक्षण में जुटा हुआ है। फिलहाल देश भर में फैले इन गलियारों की पहचान की जा रही है। जिसके बाद इन्हें अधिसूचित भी किया जाएगा। अब तक देश भर के 87 गलियारों की पहचान की गई है।
संरक्षण पर भी दिया जाएगा ध्यान
माना जा रहा है कि इन गलियारों के अधिसूचित होने के बाद कोई भी सड़क और रेल परियोजना जब भी उसके आसपास से गुजरेगी, तो उनके संरक्षण पर भी ध्यान दिया जाएगा। पिछले सालों में हाथियों और मानव के बीच बढ़े संघर्ष और हाथियों के मौत के पीछे भी इनके गलियारों से छेड़छाड़ एक बड़ी वजह मानी जा रही है। मौजूदा समय में देश में तीस हजार से ज्यादा हाथी है।