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आंध्र प्रदेश: कोविड-19 वैक्‍सीन के बाद होगा पंचायत चुनाव, राज्‍य सरकार ने सेक्रेटरी को लिखा खत

Panchayat polls in Andhra Pradesh आंध्र प्रदेश सरकार ने चीफ सेक्रेटरी आदित्‍यनाथ दास को खत लिखकर पंचायत चुनावों के आयोजन की बात कही है। उन्‍होंने कहा है कि कोविड-19 वैक्‍सीनेशन शुरू हो जाने के बाद चुनाव की प्रक्रिया दोबारा शुरू की जाए।

By Monika MinalEdited By: Updated: Sat, 09 Jan 2021 01:37 PM (IST)
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कोविड-19 वैक्‍सीन के बाद आंध्र प्रदेश में होगा पंचायत चुनाव

विजयवाड़ा, एएनआइ। आंध्र प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी आदित्‍यनाथ दास (Chief Secretary Adityanath Das) ने शुक्रवार को राज्‍य चुनाव आयुक्‍त (State Election Commissioner, SEC) एन रमेश कुमार (N Ramesh Kumar) से स्‍थानीय निकाय चुनावों को दोबारा आयोजित कराने की बात कही। SEC ने अपने पत्र में सरकार पर आरोप लगाया कि मौजूदा आयुक्‍त के कार्यकाल के दौरान चुनाव नहीं कराना चाहती है, और आयुक्‍त के हटने के बाद ही चुनाव के आयोजन में सहायता करेगी। बता दें कि चुनाव आयुक्‍त का कार्यकार 7 मार्च 2021 को पूरा हो रहा है। 

एन रमेश कुमार ने शुक्रवार को चार चरणों में होने वाले पंचायत चुनाव की तारीखों को एलान किया जो 5 फरवरी से शुरू होगा। SEC 23 जनवरी को पहले चरण के लिए, 27 जनवरी को दूसरे चरण का, 31 जनवरी को तीसरे चरण और 4 फरवरी को चौथे चरण का  चुनाव नोटिफिकेशन जारी कर देंगे।  नॉमिनेशन के लिए अंतिम तारीख 27 जनवरी, 31 जनवरी, 4 फरवरी और 8 फरवरी निर्धारित की गई है। 5,9,13 और 17 फरवरी को चुनाव का आयोजन किया जाएगा। वोटिंग सुबह के 6.30 बजे से शाम के 3.30 बजे तक चलेगा। चार चरणों के जरिए वोटों की गिनती की जाएगी।

SEC ने अपने पत्र में लिखा, 'एक बार महामारी से निपटने का जरिया वैक्‍सीनेशन शुरू हो जाए उसके बाद सरकार स्‍थानीय चुनावों की प्रक्रिया शुरू करने के लिए राजी है। राज्‍य की जनता की भलाई के मद्देनजर आंध्र प्रदेश राज्‍य चुनाव आयोग राज्‍य सरकार के इस प्रस्‍ताव पर विचार कर सकता है।' उन्‍होंने कोविड-19 और वैक्‍सीनेशन के कारण चुनाव के आयोजन में राज्‍य सरकार की अक्षमता को भी जाहिर किया। दास ने लिखा, 'राज्‍य सरकार को चुनाव के आयोजन में केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए NDMA एक्‍ट और कोविड-19 के कारण गंभीर हालात बाधक बन रहे हैं।' 

बता दें कि एन रमेश कुमार को 2020 के मई में दोबारा नियुक्‍त किया गया था जब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस अध्यादेश को खारिज कर दिया था, जिसमें चुनाव आयुक्त के कार्यकाल को पांच साल से घटाकर तीन साल करने का प्रावधान किया गया था।