Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Article 370 Verdict: 'जम्मू-कश्मीर के पास नहीं थी कोई संप्रभुता', SC ने ऐतिहासिक फैसले में खारिज की दलील

सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 पर अपने ऐतिहासिक फैसले में इस दलील को भी खारिज कर दिया है कि देश के साथ एकीकरण के बाद भी जम्मू-कश्मीर के पास अपनी आंतरिक संप्रभुता रह गई थी। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जम्मू-कश्मीर राज्य के पास कोई संप्रभुता नहीं है।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Mon, 11 Dec 2023 10:30 PM (IST)
Hero Image
जम्मू-कश्मीर के पास नहीं थी कोई संप्रभुता: SC

मनीष तिवारी, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 पर अपने ऐतिहासिक फैसले में इस दलील को भी खारिज कर दिया है कि देश के साथ एकीकरण के बाद भी जम्मू-कश्मीर के पास अपनी आंतरिक संप्रभुता रह गई थी। सोमवार को आए इस फैसले में शीर्ष अदालत ने साफ तौर पर कहा है कि भारतीय संघ के साथ विलय-पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद जम्मू-कश्मीर के पास न तो बाह्य संप्रभुता शेष रह गई थी और न ही आंतरिक।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के इन दलीलों को किया स्वीकार

अनुच्छेद 370 की समाप्ति के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि विलय पत्र पर हस्ताक्षर से बाहरी संप्रभुता को समाप्त हो गई थी, क्योंकि उसने रक्षा, विदेशी मामलों और संचार पर अपना नियंत्रण खो दिया था, लेकिन राज्य के पास आंतरिक संप्रभुता थी।

इसके पीछे जम्मू-कश्मीर और भारत के संबंधों के इतिहास, जम्मू-कश्मीर में संविधान सभा के गठन, उसके प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने तथा रक्षा, विदेश मामलों और संचार के अलावा शेष सभी विषयों पर कानून बनाने की शक्ति के कारण गिनाए गए थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को नहीं माना और केंद्र सरकार के इन तर्कों को स्वीकार किया कि इस राज्य के पास जो भी संप्रभुता थी, वह विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते ही समाप्त हो गई।

प्रधान न्यायाधीश ने क्या कहा?

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जम्मू-कश्मीर राज्य के पास कोई संप्रभुता नहीं है। अनुच्छेद एक और अनुच्छेद 370 बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं। उसने अपनी संप्रभुता का पूरी तरह समर्पण कर दिया था।

जम्मू-कश्मीर का संविधान तो भारतीय संघ और इस राज्य के संबंधों को और अधिक परिभाषित करने के लिए बनाया गया था। जम्मू-कश्मीर के संविधान में संप्रभुता का कोई उल्लेख नहीं है। इसके विपरीत भारत के संविधान की प्रस्तावना में ही इस पर जोर दिया गया है कि हम भारत के लोग एक संप्रभु, समाजवादी, सेक्युलर और लोकतांत्रिक गणराज्य हैं। भारत में संप्रभुता लोगों में निहित है। वहीं जम्मू-कश्मीर के अपने संविधान में संप्रभुता का ऐसा कोई जिक्र नहीं है जो दूसरे राज्यों से अलग हो।

यह भी पढ़ेंः Article 370 Verdict: ...तो अगले साल लोकसभा के साथ हो सकते हैं जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के चुनाव

भारतीय संविधान के अधीन है जम्मू-कश्मीर

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि इस प्रस्तावना के साथ ही अनुच्छेद एक और जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 3, 5 और 147 तथा भारतीय संविधान का अनुच्छेद एक तथा पहली अनुसूची के साथ अनुच्छेद 370 पूरे निश्चय के साथ यह प्रकट करते हैं कि यह राज्य सबसे पहले भारतीय संविधान के अधीन है और फिर अपने संविधान के। सुप्रीम कोर्ट ने इस राज्य की संप्रभुता के सवाल का उत्तर देने के लिए जम्मू-कश्मीर के पूरे इतिहास का विस्तार से जिक्र किया है।

यह भी पढ़ेंः 'PoK हमारा है और इसे हमसे कोई नहीं छीन सकता', विपक्ष को अमित शाह की दो टूक- अभी भी सुधर जाओ नहीं तो साफ हो जाओगे