वैश्विक वैल्यू चेन में विकासशील देश की हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश, वाणिज्य सचिव बोले- भारत को मिलेगा फायदा
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि जी-20 की ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट मिनिस्ट्रियल बैठक में वैश्विक वैल्यू चेन में विकासशील देशों की हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर अहम चर्चा होगी और इसका फायदा भारत को भी मिलेगा।24-25 अगस्त को जयपुर में होने वाली जी-20 की टीआईएम की बैठक में इस बात को लेकर सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी कि वैश्विक सप्लाई के लिए कुछ देशों पर ही निर्भरता नहीं हो।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा है कि जी-20 की ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट मिनिस्ट्रियल बैठक (टीआईएमएम) में वैश्विक वैल्यू चेन में विकासशील देशों की हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर अहम चर्चा होगी और इसका फायदा भारत को भी मिलेगा।
जयपुर में होगी जी-20 की टीआईएम की बैठक
उन्होंने कहा कि 24-25 अगस्त को जयपुर में होने वाली जी-20 की टीआईएम की बैठक में इस बात को लेकर सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी कि वैश्विक सप्लाई के लिए कुछ देशों पर ही निर्भरता नहीं हो। विकासशील देशों की इसमें अहम हिस्सेदारी हो और उनकी भूमिका को बढ़ाने पर चर्चा होगी।
विश्व के 78 प्रतिशत व्यापार में जी-20 देशों की हिससेदारी
विश्व के 78 प्रतिशत व्यापार में जी-20 देशों की हिससेदारी है। फ्रांस, इंडोनेशिया, यूके, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, टर्की व यूरोपीय यूनियन ने टीआईएमएम में हिस्सा लेने को लेकर पहले ही अपनी सहमति जता चुके हैं। सुनील बर्थवाल ने बताया कि टीआईएम की बैठक में वैश्विक सप्लाई चेन के साथ व्यापार के विकास, वैश्विक व्यापार में एमएसएमई की हिस्सेदारी को बढ़ाने, लॉजिस्टिक लागत को कम करने के साथ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में सुधार के मुद्दे पर चर्चा होगी।
कई देशों के साथ मुक्त व्यापार हो हो सकती है अलग से चर्चा
उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान यूके, ईयू व कनाडा जैसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लेकर अलग से चर्चा होने की उम्मीद है। इन देशों के साथ भारत की एफटीए वार्ता चल रही है और जल्द से जल्द एफटीए को पूरा करने की दिशा में बातचीत की जाएगी।
नई दिल्ली में होगी बिजनेस 20 की बैठक
टीआईएमएम बैठक के बाद नई दिल्ली में बिजनेस 20 या बी 20 की बैठक होगी। इस बैठक में दुनिया की टाप कंपनियों के कई सीईओ भी हिस्सा लेंगे।
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक कोरोना के बाद वैश्विक सप्लाई चेन को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे और उसके बाद से किसी खास देश पर सप्लाई चेन के लिए निर्भर नहीं रहकर उसके विकल्प को तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है। भारत विकल्प बनने की पूरी क्षमता रखता है इसलिए भारत को इसका फायदा मिलेगा।