चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए परामर्श प्रणाली के पक्ष में पूर्व CEC, सांसद मनोज झा ने भी किया समर्थन
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) टीएस कृष्णमूर्ति और राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने मुख्य चुनाव आयुक्त एवं चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति के लिए परामर्श प्रणाली बनाने का समर्थन किया है। मनोज झा ने कहा कि चुनाव आयोग भारत में संसदीय लोकतंत्र की धुरी है। फाइल फोटो।
नई दिल्ली, पीटीआई। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) टीएस कृष्णमूर्ति और राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने मुख्य चुनाव आयुक्त एवं चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति के लिए परामर्श प्रणाली बनाने का समर्थन किया है। एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए कृष्णमूर्ति ने कहा कि नियुक्ति की कलेजियम प्रणाली से चुनाव आयोग की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
लंबा कार्यकाल होगा मददगार
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए पूर्व नौकरशाहों से इतर जाया जा सकता है। सीईसी और ईसी के लिए कम से कम छह साल के कार्यकाल के प्रस्ताव पर उन्होंने कहा कि लंबा कार्यकाल मददगार है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि छोटे कार्यकाल से आयोग की विश्वसनीयता घटेगी। फरवरी 2004 से मई 2005 तक चुनाव आयोग की कमान संभाल चुके कृष्णमूर्ति ने मुख्य चुनाव आयुक्त और सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की तर्ज पर चुनाव आयुक्तों को भी संवैधानिक सुरक्षा प्रदान किये जाने की पैरवी की।
भारत में संसदीय लोकतंत्र की धुरी है चुनाव आयोग- मनोज झा
मनोज झा ने कहा कि चुनाव आयोग भारत में संसदीय लोकतंत्र की धुरी है। उन्होंने कहा कि यदि आयोग की विश्वसनीयता खत्म होती है तो संसदीय लोकतंत्र महज कंकाल रह जाएगा। पिछले साल नवंबर में उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर ‘संविधान के मौन’ होने एवं कानून के अभाव को ‘चिंताजनक प्रवृति’ बताया था। न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि उसका प्रयास एक ऐसी व्यवस्था लाना है ताकि सर्वश्रेष्ठ पात्र व्यक्ति मुख्य चुनाव आयुक्त बने।
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