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'UPA के जमाने में फोन बैंकिंग से अपात्र लोगों को दिलवाया लोन', संसद में वित्त मंत्री का विपक्ष को करारा जवाब

सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमारे पूर्व के वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ मिलकर इस समस्या को समझा कि असल में समस्या कहां है और फिर आरबीआइ के साथ इसका समाधान निकाला। इसका नतीजा यह हुआ कि आज भारत सबसे तेज गति से विकास करने वाला अर्थव्यवस्था बन गया है और दूसरी तिमाही में हमारी जीडीपी विकास दर 7.6 प्रतिशत रही।

By AgencyEdited By: Babli KumariUpdated: Tue, 05 Dec 2023 10:54 PM (IST)
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एनपीए पर संसद में वित्त मंत्री का विपक्ष को दिया करारा जवाब (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बैंकों की गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) या डूबे हुए कर्ज के सवाल पर मंगलवार को संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष को आड़े हाथे लेते हुए करारा जवाब दिया। सीतारमण ने कहा कि वर्ष 2004 से वर्ष 2014 के दौरान फोन बैंकिंग के माध्यम से नेताओं ने बैंकों में हस्तक्षेप किया और बैंकों को घाटा उठाने वाला संस्थान बना दिया।

इसका असर हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ा और हमारी अर्थव्यवस्था कमजोर श्रेणी में पहुंच गई। उन्होंने कहा कि उस समय फोन उठाकर बैंकों में यह कहा जाता था कि अमूक व्यक्ति बैंक में आएगा और उसको लोन देना है। मतलब लोन देने के लिए उस व्यक्ति की योग्यता नहीं देखी जाती थी।

फोन के आने का ही मतलब था कि उसे हर हाल में लोन मिल जाएगा। संप्रग के 10 साल के शासन काल में इस प्रकार का चलन खूब रहा जब वैसे व्यक्ति को लोन देने के लिए फोन किया जाता था जो बिल्कुल भी लोन लेने का पात्र नहीं था। इसका भार हमारी सरकार पर आया और फिर सुधार कार्यक्रम के जरिए भारतीय बैंकों को इससे उबारा गया।

भारत सबसे तेज गति से विकास करने वाला बना अर्थव्यवस्था

सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमारे पूर्व के वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ मिलकर इस समस्या को समझा कि असल में समस्या कहां है और फिर आरबीआइ के साथ इसका समाधान निकाला। इसका नतीजा यह हुआ कि आज भारत सबसे तेज गति से विकास करने वाला अर्थव्यवस्था बन गया है और दूसरी तिमाही में हमारी जीडीपी विकास दर 7.6 प्रतिशत रही।

बैंकों को चूना लगाने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जानबूझ कर बैंक का लोन नहीं चुकाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही हैं और इन लोगों से बैंक अपने पैसे वसूलने के लिए काम कर रहे हैं।

13,978 खातों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की

इस कार्रवाई के तहत इस साल 31 मार्च तक 13,978 खातों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है। 11,483 मामलों में सरफेसी कानून के तहत कार्रवाई हो रही है तो 5,674 मामलों में मुकदमा भी दर्ज किया गया है। बैंकों के 33,801 करोड़ रुपए रिकवर भी हुए हैं। मनी लांड्रिंग के तहत बैंक डिफाल्टर पर कार्रवाई से बैंकों के 15,000 करोड़ से अधिक लोन वापस मिल गए हैं। इस साल एक दिसंबर तक प्रवर्तन निदेशालय ने 15,186 करोड़ के मूल्य की संपदा को जब्त किया है।

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