भारत बांग्लादेश सीमा पर फेंसिंग में हो रही देरी, पश्चिम बंगाल सरकार नहीं कर रही सहयोग; केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में बताया
पश्चिम बंगाल सरकार के सहयोग न करने से भारत बांग्लादेश सीमा पर फेंसिंग में देरी हो रही है। केंद्र ने कहा कि सीमा पर फेंसिंग प्रोजेक्ट राष्ट्रीय महत्व का है।अगर राज्य सरकार फेंसिंग के लिए भूमि अधिग्रहित कर सौंपने के काम में सहयोग करती है तो केंद्र सीमा पर फेंसिंग का काम पूरा कर लेगा। फॉरेन ट्रिब्युनल ने असम में 32831 लोगों की पहचान विदेशी के रूप में की है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार के सहयोग न करने के कारण बंग्लादेश से जुड़ी भारत बांग्लादेश सीमा पर फेंसिंग के काम में देरी हो रही है।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने घुसपैठ रोकने के लिए किये गए उपायों, सीमा पर फेंसिंग और देश में अवैध रूप से घुसे और रह रहे लोगों के आंकड़े पेश करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि भूमि अधिग्रहण से जुड़े विभिन्न मुद्दों को हल करने में पश्चिम बंगाल सरकार के सहयोग न करने के कारण जमीन अधिग्रहण में काफी देरी हो रही है।
क्यों आ रही देरी?
इसके कारण पश्चिम बंगाल से जुड़ी भारत बांग्लादेश सीमा पर फेंसिंग का काम पूरा होने में बाधा आ रही है। केंद्र ने कहा कि सीमा पर फेंसिंग का यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय महत्व का है। अगर राज्य सरकार फेंसिंग के लिए भूमि अधिग्रहित कर सौंपने के काम में सहयोग करती है तो केंद्र बिना देरी के सीमा पर फेंसिंग का काम पूरा कर लेगा।केंद्र सरकार ने कोर्ट से यह भी कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में अवैध रूप से रहने वाले घुसपैठियों का ठीक ठीक आंकड़ा एकत्र करना संभव नहीं है क्योंकि विदेशी नागरिकों का प्रवेश गुप्त और चोरी छिपे होता है।
असम में इतने लोग विदेशी
हालांकि, फॉरेन ट्रिब्युनल ने असम में 32831 लोगों की पहचान विदेशी के रूप में की है। जबकि असम में 17861 लोगों ने 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच आने का दावा करते हुए एफआरआरओ में स्वयं को पंजीकृत कराया है। केंद्र सरकार ने अवैध घुसपैठियों और सीमा को सुरक्षित करने के संबंध में यह ब्योरा कोर्ट के गत सात सितंबर को मांगे गए आंकड़ों के जवाब में दिया।
असम में नागरिकता अधिनियम
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की ओर से पेश ब्योरा देखने और असम में नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए के तहत नागरिकता दिये जाने का विरोध करने वाली और नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की वैधानिकता पर सभी पक्षों की बहस सुनकर मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। असम में घुसपैठियों को नागरिकता देने के मामले संबंधित कुल 17 याचिकाएं लंबित हैं। इनमें नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की वैधानिकता को चुनौती दी गई है।
तुषार मेहता ने बांगलादेश से जुड़ी सीमा पर फेंसिंग का दिया ब्योरा
मामले पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, एमएम सुंद्रेश, जेबी पार्डीवाला और मनोज मिश्रा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने चार दिन तक लंबी सुनवाई की। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बांगलादेश से जुड़ी सीमा पर फेंसिंग का ब्योरा देते हुए बताया कि बांग्लादेश से जुड़ी 4096 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा है। यह सीमा पस्चिम बंगाल, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और असम से जुड़ी है। जिसमें फेंसिंग हो सकती है वह भाग करीब 3922 किलोमीटर की है। सीमा को सुरक्षित करने के लिए केंद्र बहुस्तरीय उपाय कर रहा है। करीब 81.5 प्रतिशत फेंसिंग पूरी हो गयी है।
असम में 263 किलोमीटर सीमा बांग्लादेश से जुड़ी है जिसमें से 210 किलोमीटर में फेंसिंग हो गयी है, जहां फेंसिंग संभव नही है वहां टेक्नालाजी सैल्युशन से कवर किया गया है। केंद्र ने कहा कि पश्चिम बंगाल में भी घुसपैठ समस्या है। पश्चिम बंगाल में 2216 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा बंगालादेश से जुड़ी है जिसमें से जहां संभव है वहां 78 फीसद सीमा पर फेंसिंग हो चुकी है 435 किलोमीटर बची है जिसमें से 286.35 किलोमीटर का काम भूमि अधिग्रहण के कारण लटका है। पश्चिम बंगाल सरकार भूमि अधिग्रहण मामले में अभी भी डायरेक्ट लैंड परचेस पालिसी पर चल रही है जो ज्यादा जटिल और धीमी है।
सीमा पर फेंसिंग के राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले
सीमा पर फेंसिंग के राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले में भी राज्य सरकार इसी रास्ते पर चल रही है और उसके सहयोग न मिलने के कारण फेंसिंग के काम में देरी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने गत सात दिसंबर को केंद्र से आंकड़े पेश करने को कहा था। कोर्ट ने पूछा था कि 1 जनवरी 1966 से लेकर 25 मार्च 1971 के बीच असम आने वाले कुल कितने लोगों को नागरिकता अधिनियम 6ए (2) में नागरिकता दी गई। इस पर केंद्र ने बताया है कि 31 अक्टूबर 2023 तक 17861 लोगों ने अपना नाम एफआरआरओ में पंजीकृत कराया है।
हालांकि, पूरे देश में कुल कितने घुसपैठिए घुसे इसका सही आंकड़ा देना संभव नहीं है। जबकि यह बताया है कि फारेन ट्रिब्युनल ने कुल 32381 लोगों की विदेशी होने की पहचान की है। उधर मामले में मेरिट पर बहस के दौरान पक्षकारों के वकीलों ने धारा 6ए की वैधानिकता को चुनौती देते हुए कहा कि इसमें नागरिकता देने का कोई मानदंड तय नहीं है। कानून में यह संशोधन 1985 में असम समझौते के बाद हुआ था। जिसके तहत 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच जो लोग असम आये थे और पूर्वोत्तर राज्य के निवासी हैं, उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए उन्हें धारा 18 में अपना पंजीकरण कराना होगा।
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