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हिमाचल में थमा चुनाव प्रचार का शोर, अब मतदान पर है सभी की निगाह

हिमाचल प्रदेश का चुनाव प्रचार थम चुका है और अब सभी की निगाहें 9 नवंबर और 18 दिसंबर पर हैं जब यहां मतदान और चुनावों की गिनती होगी।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 07 Nov 2017 06:07 PM (IST)
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हिमाचल में थमा चुनाव प्रचार का शोर, अब मतदान पर है सभी की निगाह

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार मंगलवार शाम पांच बजे थम गया। अब सभी की निगाहें 9 नवंबर को होने वाले मतदान पर टिकी हैं। हिमाचल में कांग्रेस और भाजपा की तरफ से जोर-दार प्रचार किया गया। इसके लिए कांग्रेस की तरफ से जहां पार्टी उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने कमान संभाली थी वहीं भाजपा की तरफ से पीएम नरेंद्र मोदी समेत पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह मैदान में थे। बहरहाल अगले 48 घंटों के लिए अब पिछले कुछ समय से सुनाई देने वाला शोर पूरी तरह थम गया है। हिमाचल प्रदेश के वोटों की गिनती भी गुजरात के साथ 18 दिसंबर को होगी।

प्रचार में भाजपा रही आगे

प्रचार में सत्तारूढ़ कांग्रेस के मुकाबले भाजपा ने शुरू से तेजी बनाए रखी। भाजपा ने चुनाव प्रचार व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ावा। प्रचार के प्रत्येक माध्यम का भरपूर इस्तेमाल किया। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी खराब स्वास्थ्य के कारण नहीं आ पाईं। राहुल गांधी भी एक दिन के लिए आए। कांग्रेस महासचिव नरेश चौहान भी इस बात को मान रहे हैं कि प्रचार के मामले में कांग्रेस पीछे रह गई। दैनिक जागरण से बात करते हुए उन्‍होंने कहा कि इसके बाद भी वीरभद्र सिंह ने अपने स्तर पर मोर्चा संभाले रखा। उनके मुताबिक भाजपा केवल प्रचार में ही थी, धरातल में कुछ नहीं था।

लोगों ने दिखाई पीएम का भाषण सुनने में दिलचस्‍पी

भाजपा प्रवक्ता महेंद्र धर्माणी के मुताबिक पार्टी का चुनाव प्रचार जनता के बिलकुल समीप था। कांग्रेस की जनविरोधी नीतियों से तंग लोगों ने पीएम मोदी सहित दूसरे नेताओं के भाषण सुनने में दिलचस्पी दिखाई। रैलियों में आने वाली भीड़ से साबित हो गया कि प्रदेश के लोग राज्य में राजनीतिक बदलाव चाहते हैं। इस चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह सहित भाजपा के कई बड़े नेताओं ने तय कार्यक्रम के तहत प्रचार किया। इस कारण भाजपा लोगों को घरों से बाहर निकालकर रैली स्थल तक लाने में सफल रही। इसी वजह से भाजपा की जनसभाओं में अधिक भीड़ देखने को मिली।

राहुल की तीन सभाएं और एक दिन

कांग्रेस की ओर से प्रदेश में 65 जनसभाएं की गईं। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी एक दिन के लिए आए। उन्होंने तीन जनसभाएं कीं। अकेले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 49 चुनावी रैलियों को संबोधित किया। इसके अतिरिक्त पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रचार में उतरे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने भी कम ही जनसभाएं कीं। कांग्रेस के अधिकतर नेताओं का जोर प्रेस कांफ्रेंस पर रहा। पूर्व केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट, आनंद शर्मा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और शीला दीक्षित प्रेस कांफ्रेंस करने वालों में शामिल रहे।

आरोप-प्रतयारोपों को दौर

हिमाचल प्रदेश में पिछले एक माह से हो रही चुनावी रैलियों में कांग्रेस और भाजपा ने एक दूसरे पर जमकर आरोप लगाए। आरोप-प्रत्‍यारोपों को सुनने के लिए इन चुनावी रैलियों में काफी भीड़ भी जमा हुई। कांग्रेस और भाजपा की तरफ से होने वाले हमलों का एक-दूसरे ने भी खूब जवाब दिया। भ्रष्टाचार ऐसा मुद्दा है, जो भाजपा व कांग्रेस की ओर से सर्वाधिक उठाया गया। भाजपा ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह समेत कांग्रेस सरकार के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप जड़े। जो भी भाजपा नेता प्रचार के लिए आए, उन्होंने भ्रष्टाचार का जिक्र किया। कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के मामले में वीरभद्र सिंह का बचाव करते हुए धूमल व अनुराग को जमानत पर बताया।

कांग्रेस और भाजपा के मुद्दे

इनके अलावा कांग्रेस ने जीएसटी के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने की पूरी कोशिश भी की। साथ ही केंद्र सरकार पर राजनीतिक उपेक्षा का आरोप भी लगाया। कांग्रेस की तरफ से भाजपा पर अपने राजनीतिक विरोधियों को झूठे मामलों में फंसाने के लिए जांच एजेंसियों का इस्‍तेमाल किए जाने का भी आरोप लगाया। वहीं भाजपा ने कांग्रेस को घोटालों की पार्टी बताया और प्रचार में यूपीए के कार्यकाल की याद दिलाई।

पीएम की पांच रैलियां

मोदी ने पांच जिलों में 7 रैलियां की। इसके अतिरिक्त भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, आठ केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री वोट मांगने पहुंचे। यदि कुल चुनावी सभाओं की बात की जाए तो भाजपा ने 197 स्थानों पर जनसभाएं कीं। भाजपा के 68 रथों ने सभी विधानसभा क्षेत्रों में सभाएं कीं। इसमें लाखों युवाओं को जोडऩे का दावा किया गया।

इन्‍होंने की चुनावी सभाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, जगत प्रकाश नड्डा, स्मृति ईरानी, नितिन गडकरी, प्रकाश जावडेकर, राधा मोहन सिंह, थावर चंद गहलोत, उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री टीएस रावत, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित कई दूसरे नेता चुनाव प्रचार में उतरे। मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल ने अकेले 38 चुनावी सभाएं की।

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