गौरीकुंड सैलाब में गुम बेटे की तलाश में खाक छान रहे बीमार पिता, IIT रुड़की से डिग्री मिलने के बाद दर्शन के लिए गया था केदारनाथ
गौरीकुंड में आई बाढ़ में लापता हुए बेटे की तलाश में बीमार पिता अथक प्रयास कर रहे हैं। आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग की डिग्री मिलने के बाद बेटे ने बाबा केदार के दर्शन के लिए केदारनाथ की यात्रा की थी। 22 दिनों से लापता बेटे का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। पिता को उम्मीद है कि उनका बेटा कहीं न कहीं सुरक्षित होगा।
सोबन सिंह गुसांई l जागरण देहरादून : IIT रुड़की से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने की मन्नत पूरी होने के बाद बाबा केदार के दर्शन को गया राजस्थान का एक युवक गौरीकुंड में आए सैलाब में लापता हो गया।
22 दिन से गायब बेटे की तलाश में बीमार पिता लगातार पुलिस थानों, अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन बेटे का अब तक कहीं भी पता नहीं लग पाया। उन्हें उम्मीद है कि उनका बेटा कहीं न कहीं सही सलामत होगा।
देहरादून पहुंचे नंदनगर, संदड़ा रोड, ब्यावर शहर, अजमेर (राजस्थान) निवासी अमरचंद सामरिया ने बताया कि उनका बेटा रुपिन पढ़ाई में काफी होशियार रहा। जिसके चलते उसे आइआइटी रुड़की में एडमिशन मिला। रुपिन की दिल से इच्छा थी कि जब भी उसे इंजीनियरिंग की डिग्री मिलेगी तो वह सबसे पहले केदारनाथ में भोले बाबा के चरणों में माथा टेकने जाएगा।
27 अगस्त को आइआइटी रुड़की में दीक्षा समारोह था, जिसमें रुपिन को डिग्री मिली। 28 अगस्त को वह अपने दोस्त घनेंद्र के साथ केदारनाथ के लिए निकल पड़ा। 30 अगस्त को उन्होंने बाबा केदार के दर्शन किए और 31 अगस्त को सुबह आरती के बाद वह वापसी को निकल पड़े।
जंगलचट्टी के निकट अचानक भारी वर्षा शुरू हुई और श्रद्धालु भागने लगे, जिस कारण रुपिन का मोबाइल फोन कहीं गुम हो गया। किसी तरह से शाम को वह गौरीकुंड पहुंचे। जहां टैक्सी सर्विस बंद होने के कारण रुपिन व उसका दोस्त घनेंद्र गौरीकुंड में ही रुक गए।
कुंड के निकट सीढ़ियों पर पहुंचते ही अचानक ऊपर से सैलाब आया। घनेंद्र तेज बहाव में आगे निकल गया, लेकिन रुपिन वहीं पर खड़ा रहा। घनेंद्र किसी तरह भागने में सफल हो गया। इसके बाद रुपिन का कहीं पता नहीं लग पाया।
पिता अमरचंद बताते हैं कि उन्हें हार्ट की भी दिक्कत है। अब तक वह पांच बार राजस्थान से देहरादून आ चुके हैं, लेकिन बेटे के बारे में कहीं कुछ पता नहीं लग पाया है।
जिस बैग में डिग्री थी, उसी को पकड़कर बैठा था रुपिन
सही सलामत लौटे रुपिन के दोस्त घनेंद्र ने बताया कि जिस समय सैलाब आया, उस समय रुपिन बैग लेकर बैठा था। बैग में उसकी डिग्री व लैपटाप था। किसी भी कीमत पर वह डिग्री को नहीं छोड़ना चाह रहा था।
घनेंद्र ने यह भी बताया कि जिस जगह पर रुपिन खड़ा था, वहां पर मलबा अब भी जस के तस पड़ा हुआ है। कई बार वहां पर मलबा हटाने की गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन मलबा नहीं हटाया जा रहा।
रुपिन घर आजा मैं तो घर आ गया हूं
घनेंद्र रुपिन के लापता होने से उसका दोस्त घनेंद्र भी सदमे में है। बेंगलुरु में साफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी कर रहे घनेंद्र ने भावुक अपील की है। उन्होंने कहा कि दोस्त रुपिन मैं तो सही सलामत घर आ गया हूं, जल्दी से तुम भी घर आ जाओ।
रुपिन की तलाश में उसके पिता व दोस्त हरिद्वार, ऋषिकेश, रुद्रप्रयाग, सोनप्रयाग व गौरीकुंड में पोस्टर लेकर घूम रहे हैं, लेकिन उनकी तलाश अब तक पूरी नहीं हो पाई है। बेटे को सुरक्षित पाने के लिए पिता धार्मिक स्थलों पर पूजा-पाठ से लेकर गरीबों को दान भी कर चुके हैं।