'अनुच्छेद 370 रद्द करना संघीय ढांचे को नकारना नहीं', जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने फैसले को ठहराया सही
अपने तीन पेज के संक्षिप्त फैसले में जस्टिस संजीव खन्ना ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल के फैसले से सहमति जताई है।जस्टिस खन्ना ने दोनों न्यायाधीशों के फैसले से सहमति जताते हुए कहा है कि जस्टिस चंद्रचूड़ का फैसला विद्वतापूर्ण और जटिल कानूनी प्रावधानों की व्याख्या करता है। जबकि जस्टिस संजय किशन कौल का फैसला व्यावहारिक रूप से तथ्यात्मक और कानूनी रहस्यों को उजागर करता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जस्टिस संजीव खन्ना ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को सही ठहराते हुए अपने फैसले में कहा है कि अनुच्छेद 370 एक संक्रमणकालीन प्राविधान था और ये स्थाई प्रकृति का नहीं था। अनुच्छेद 370 को निरस्त करना संघीय ढांचा नकारना नहीं है, क्योंकि जम्मू कश्मीर में रहने वाले नागरिक वही दर्जे और अधिकार का आनंद उठा सकते हैं जो देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले नागरिकों को प्राप्त हैं।
अपने तीन पेज के संक्षिप्त फैसले में जस्टिस संजीव खन्ना ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल के फैसले से सहमति जताई है। जस्टिस खन्ना ने दोनों न्यायाधीशों के फैसले से सहमति जताते हुए कहा है कि जस्टिस चंद्रचूड़ का फैसला विद्वतापूर्ण और जटिल कानूनी प्रावधानों की व्याख्या करता है। जबकि जस्टिस संजय किशन कौल का फैसला व्यावहारिक रूप से तथ्यात्मक और कानूनी रहस्यों को उजागर करता है।
समान रूप से सहमति जताई गई
दोनों फैसलों में इस पर समान रूप से सहमति जताई गई है कि अनुच्छेद 370 असमान संघवाद की प्रकृति का है न कि संप्रभुता की प्रकृति का। जस्टिस खन्ना ने कहा है कि अनुच्छेद 370 रद करना संघीय ढांचे को नकारना नहीं है। जस्टिस खन्ना ने भी अपने फैसले में माना है कि सीओ 272 के पैराग्राफ (2), जिसमें अनुच्छेद 370 को अनुच्छेद 367 के जरिए संशोधित किया गया है, वह असंवैधानिक और कानून की निगाह में गलत है।
जस्टिस खन्ना ने क्या-क्या कहा?
जस्टिस खन्ना ने यह भी कहा है कि सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि अनुच्छेद 370 को अनुच्छेद 370(3) के जरिए निष्कृय कर दिया गया है। उन्होंने भी सीओ 273 को वैध माना है। जस्टिस खन्ना ने अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति की शक्तियों के बारे में प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के फैसले में की गई व्याख्या और निष्कर्ष से सहमति जताई है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने एसआर बोम्मई में दी गई व्यवस्था के आधार पर अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति की शक्तियों की व्याख्या फैसले में की है। जस्टिस खन्ना ने केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्दी बहाल किये जाने के केंद्र सरकार के बयान और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे को सही ठहराने के फैसले से भी सहमति जताई है। राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील करने पर अपना नजरिया देते हुए जस्टिस खन्ना ने फैसले में कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश सामान्यतौर पर भौगोलिक रूप से छोटा क्षेत्र होता है। या फिर उसे विषम कारणों के चलते बनाया जाता है।
अनुच्छेद 370 हटाने को सही ठहराया
जस्टिस खन्ना ने कहा है कि राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील करने के गंभीर परिणाम होते हैं अन्य चीजों के अलावा इससे राज्य सरकार चुनने का नागरिकों का अधिकार खत्म होता है और इससे संघवाद को भी धक्का पहुंचता है। जस्टिस खन्ना ने कहा है कि राज्य से केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील करने का बहुत ही ठोस और न्यायोचित कारण और आधार होना चाहिए। इसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद तीन का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।
जस्टिस खन्ना ने कहा है कि जस्टिस संजय किशन कौल के फैसले में अनुच्छेद 370(3) के प्रभाव को बताया गया है और यह भी बताया गया है कि राज्य की संविधानसभा भंग होने के बाद भी ये क्यों जारी रहा। जस्टिस खन्ना ने कहा है कि वह इस मुद्दे पर जस्टिस संजय किशन कौल के फैसले में दिये गए विस्तृत कारणों से सहमत हैं।
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