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Fast track Court: यौन उत्पीड़न के फास्ट ट्रैक निपटारे में महाराष्ट्र अव्वल, सीएम ममता का राज्य फिसड्डी

विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट की जो परफारमेंस रिपोर्ट सामने आयी है उसमें यह तो साबित होता है कि ये अदालतें दुष्कर्म और पोक्सो केसों के त्वरित निपटारे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं लेकिन पश्चिम बंगाल उसमें फिसड्डी है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्ष इन अदालतों ने 94 प्रतिशत मामले निपटाए जिसमें महाराष्ट्र और पंजाब का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा जबकि पश्चिम बंगाल का सबसे खराब था।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 12 Sep 2024 05:45 AM (IST)
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यौन उत्पीड़न मामले निपटाने में फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रभावी, पिछले एक साल मे निपटाए 94 फीसद केस

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोलकाता में डॉक्टर से दरिंदगी की घटना के बाद दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के केसों के फास्ट ट्रैक ट्रायल की मांग फिर जोर पकड़ रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में भी इन अदालतों की स्थापना की जरूरत बताई थी लेकिन विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट की जो परफारमेंस रिपोर्ट सामने आयी है उसमें यह तो साबित होता है कि ये अदालतें दुष्कर्म और पोक्सो केसों के त्वरित निपटारे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं लेकिन पश्चिम बंगाल उसमें फिसड्डी है।

पश्चिम बंगाल में 123 में से सिर्फ तीन काम कर रही फास्ट ट्रैक कोर्ट

आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्ष इन अदालतों ने 94 प्रतिशत मामले निपटाए, जिसमें महाराष्ट्र और पंजाब का प्रदर्शन बहुत अच्छा 80 और 71 प्रतिशत रहा जबकि पश्चिम बंगाल का सबसे खराब दो प्रतिशत था। इसका कारण भी स्पष्ट है ज्यादातर राज्यों ने उन्हें आवंटित सभी या अधिकतर विशेष फास्ट ट्रैक अदालतें गठित कर दी हैं और संचालित हो रही हैं जबकि पश्चिम बंगाल में 123 में से सिर्फ तीन काम कर रही हैं।

गैर सरकारी संगठन इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की फास्ट ट्रैकिंग जस्टिस

रोल आफ फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट इन रिड्यूसिंग केस बैकलाग्स नाम से जारी ताजा रिपोर्ट बताती है कि 2022 में जहां पूरे देश की अदालतों में दुष्कर्म और पोक्सो मामलों के निपटारे की दर सिर्फ 10 प्रतिशत थी , वही इन विशेष फास्ट ट्रैक अदालतों में यह दर 83 प्रतिशत थी जो कि 2023 में बढ़ कर 94 प्रतिशत तक पहुंच गई।

अभी 202175 मामले लंबित

रिपोर्ट कहती है कि अगर एक भी नया मामला न जोड़ा जाए और हर तीन मिनट में दुष्कर्म और पोक्सो के एक मामले का निपटारा किया जाए तब कहीं जाकर दिसंबर 2023 तक के लंबित मामले साल भर में खत्म हो सकते हैं। दरअसल अभी 202175 मामले लंबित हैं। रिपोर्ट में इसके निपटारे के लिए एक हजार अतिरिक्त विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने की सिफारिश की गई है।

दुष्कर्म पीडि़ताओं को त्वरित न्याय सुनिश्चित करने में इन अदालतों की जरूरत को रेखांकित करते हुए बाल अधिकार कार्यकर्ता और बाल विवाह मुक्त भारत के संस्थापक भुवन ऋभु ने सभी लंबित मामलों के निपटारे के लिए नीति बनाने की बात कही।

अभी सिर्फ 755 अदालतें ही काम कर रही हैं

रिपोर्ट बताती है कि केंद्र सरकार ने 2019 में विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट योजना लागू की थी। देश भर में 1023 विशेष फास्ट ट्रैक अदालतें गठित होनी है जिसमें अभी सिर्फ 755 अदालतें ही काम कर रही हैं। गठन के बाद से इन अदालतों में कुल 416638 मामले सुनवाई के लिए आए जिनमें से 214463 मामले निपटाए जा चुके हैं जो कि 52 फीसद है।