सांप के काटने से अब नहीं जाएगी लोगों की जान! ये दवा हो सकती है कारगर, कोबरा के जहर को भी देगा मात
WHO के अनुसार दुनिया भर में हर साल लगभग 45 से 54 लाख लोग सांप के काटने का शिकार होते हैं। इन लोगों में से करीब 1.38 लाख लोगों की मौत हो जाती है। मरने वालों की संख्या उन लोगों की होती है जिनको सही इलाज नहीं मिल पाता है। बाजार में जो इलाज उपलब्ध है वो महंगा है जिसकी वजह से सभी तक उचित इलाज नहीं पहुंच पाता है।
पीटीआई, नई दिल्ली। खून को पतला करने वाली एक सामान्य दवा सर्पदंश के इलाज के लिए एक संभावित सस्ता उपाय हो सकती है। आस्ट्रेलिया स्थित सिडनी विश्वविद्यालय से संबद्ध लेखक ग्रेग नीली ने कहा कि हेपेरिन नामक दवा कोबरा के काटने से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम कर सकती है और यह जहर फैलने की गति को धीमा भी कर सकती है जिससे जीवित रहने की दर में सुधार हो सकता है।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, वर्तमान समय में जो उपचार मौजूद है, वह सांप के काटने वाली जगह पर ऊतकों और कोशिकाओं के निष्कि्रय होने का एक असरदार समाधान नहीं करता जिससे कभी-कभी जिस अंग में सांप ने काटा है, वह बेकार हो जाता है और उसे काटना पड़ता है। मानव जीन को संशोधित करने के लिए सीआरआइएसपीआर प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए टीम ने उन विभिन्न तरीकों की पहचान की जिनसे कोबरा के जहर को रोका जा सकता है।
रक्त को पतला करने वाली दवाओं का किया उपयोग
अनुसंधानकर्ताओं ने हेपरिन सहित रक्त को पतला करने वाली दवाओं का उपयोग किया और मानव कोशिकाओं तथा चूहों पर परीक्षण के बाद पाया कि वे कोबरा के काटने से होने वाले ऊतक एवं कोशिका क्षय को रोकने में सक्षम हैं। अध्ययन रिपोर्ट 'साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन' पत्रिका में प्रकाशित हुई है। सिडनी विश्वविद्यालय के प्रमुख लेखक तियान डू ने कहा कि सफल मानव परीक्षणों के बाद (हेपरिन दवा) को कोबरा के काटने के इलाज के लिए एक सस्ती, सुरक्षित और प्रभावी दवा बनाने के लिए अपेक्षाकृत तेजी से पेश किया जा सकता है।दुनिया भर में हर साल लगभग 45-54 लाख लोग सर्पदंश की चपेट
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया भर में हर साल लगभग 45-54 लाख लोग सर्पदंश की चपेट में आते हैं जिनमें से करीब 1.38 लाख लोगों की मौत हो जाती है। डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य 2030 तक सर्पदंश से होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत तक की कमी लाना है। सर्पदंश के अधिकांश मामले अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में होते हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, भारत में सालाना अनुमानित 30 से 40 लाख सर्पदंश की घटनाएं होती हैं और इनमें से 50,000 की मौतें होती हैं जोकि वैश्विक स्तर पर होने वाली मौतों का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा है।
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