अमेरिका के साथ MQ-9B Drones खरीदने की कीमत अभी तय नहीं, रक्षा मंत्रालय ने सोशल मीडिया की रिपोर्ट को बताया गलत
रक्षा मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गलत इरादे से इंटरनेट मीडिया पर सौदे को लेकर अटकलबाजी वाली भ्रामक बातें कही गई हैं। मंत्रालय ने अपील की है कि फेक न्यूज और गलत सूचनाओं पर ध्यान नहीं दें चूंकि इससे सशस्त्र सेनाओं के मनोबल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। साथ ही अधिग्रहण की प्रक्रिया भी प्रभावित हो सकती है।
नई दिल्ली, एजेंसी। भारत को अभी भी अमेरिका से हुए 31 एमक्यू-9बी ड्रोन की कीमत और उसकी खरीद की नियम-शर्तों को अंतिम रूप देना बाकी है। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अधिग्रहण को अंतिम रूप देने से पहले देखा जाएगा कि निर्माता कंपनी ने जिस वाजिब कीमत की पेशकश उन्हें की है, वह अन्य देशों को दी गई कीमत से कितनी बेहतर है।
मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि इंटरनेट मीडिया के कई धड़ों में ड्रोन की कीमत और अधिग्रहण की प्रक्रिया पर चल रही रिपोर्ट पूरी तरह से निराधार हैं। रक्षा मंत्रालय ने रविवार को एक बयान जारी करके कहा कि वह ड्रोन के अधिग्रहण की कीमत की अभी तुलना करेंगे। इसके लिए निर्माता कंपनी जनरल एटामिक्स (जीए) को अन्य देशों के निर्माताओं की कीमतों से मिले सर्वश्रेष्ठ कीमतों के प्रस्तावों से तुलना की जाएगी।
इन ड्रोन के अधिग्रहण की प्रक्रिया भी निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही पूरी की जाएगी। रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) को आवश्यकता की स्वीकृति के आधार पर अमेरिकी सरकार की ओर से अनुमानित कीमत 3.072 अरब डालर (करीब 2.52 खरब रुपये) बताई गई है। अमेरिका से नीतिगत अनुमति मिलने के बाद इसकी कीमत पर मोल-तोल होगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 15 जून को ऊंचे अक्षांशों पर लंबी उड़ान भरने वाले 31 एमक्यू-9बी ड्रोन के अधिग्रहण को अंतरिम मंजूरी दी थी। स्वीकृति की आवश्यकता के आधार पर मानवरहित ड्रोन के साथ ही उनके संबंधित उपकरणों को भी हासिल किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान भारत और अमेरिका ने ड्रोन सौदे को मंजूरी दी थी।
रक्षा मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गलत इरादे से इंटरनेट मीडिया पर सौदे को लेकर अटकलबाजी वाली भ्रामक बातें कही गई हैं। मंत्रालय ने अपील की है कि फेक न्यूज और गलत सूचनाओं पर ध्यान नहीं दें चूंकि इससे सशस्त्र सेनाओं के मनोबल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। साथ ही अधिग्रहण की प्रक्रिया भी प्रभावित हो सकती है। उल्लेखनीय है कि यह ड्रोन तीनों सेनाओं के लिए खरीदे जा रहे हैं। यह एक बार में 35 घंटे की उड़ान भरने के साथ ही चार हेलफायर मिसाइलें और करीब 450 किलो के बम ले जाने में सक्षम हैं।