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Finland Joins NATO: फिनलैंड के नाटो में शामिल होने पर बौखलाया रूस, क्या बढ़ रहा है तीसरे विश्व युद्ध का खतरा!

फिनलैंड के नाटो में शामिल होने पर रूस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। रूस का मानना है कि फिनलैंड के अमेरिकी प्रभाव वाले ग्रुप उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) का 31वां सदस्य बन जाने से उसकी सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों पर अतिक्रमण है।

By Sonu GuptaEdited By: Sonu GuptaUpdated: Thu, 13 Apr 2023 10:30 PM (IST)
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उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) का 31वां सदस्य बना रूस। फोटो- रायटर।

नई दिल्ली, सोनू गुप्ता। फिनलैंड के नाटो में शामिल होने पर रूस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। रूस का मानना है कि फिनलैंड के अमेरिकी प्रभाव वाले ग्रुप उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) का 31वां सदस्य बन जाने से उसकी सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों पर अतिक्रमण है। रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने चेतावनी दी है कि फिनलैंड में जो भी कुछ हो रहा है रूस उसपर नजर बनाए हुए है।

फिनलैंड के नाटो में शामिल होने पर बौखलाया रूस

वहीं, रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने कहा है कि फिनलैंड के नाटो में शामिल होने से यूक्रेन संघर्ष और बढ़ेगा। मालूम हो कि रूस और फिनलैंड आपस में करीब 1,300 किलोमीटर से अधिक की सीमा साझा करते हैं। मास्को ने कहा है कि वह अपने पश्चिम और उत्तर पश्चिम सीमा पर तैनात सैनिकों की संख्या में पहले की तुलना में और वृद्धि करेगा।

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण फिनलैंड बना नाटो सदस्य

मालूम हो कि रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद फिनलैंड की जनता में नाटो के प्रति झुकाव लगातार बढ़ता गया, जो बाद में बढ़कर करीब 80 प्रतिशत हो गया। फिनलैंड के नाटो में शामिल होने के बाद राष्ट्रपति साउली निनिस्तो ने फिनलैंड के लिए एक नए युग की शुरुआत बताते हुए कहा कि यह देश के लिए एक महान और बहुत बड़ा दिन है। राष्ट्रपति ने इस दौरान कहा कि फिनलैंड नाटो का एक भरोसेमंद सहयोगी साबित होगा।

तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रही है दुनिया

रूस-यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरे होने से मात्र चार दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अचानक यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंच गए। अमेरिकी राष्ट्रपति का यूक्रेन में अचानक जाना ये उनके समर्थक को दर्शाता है। मालूम हो कि रूस-और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में अमेरिका ने यूक्रेन की काफी मदद की है। अमेरिका अपने समर्थित मुल्क को लड़ाकू विमान देने के साथ-साथ कई प्रकार के हथियार मुहैया करा चुका है। इधर, चीनी राष्ट्रपति शी चिंफिंग की रूस यात्रा ऐसे समय में हुई है, जब रूस अपने मुश्किल दौर से गुजर रहा है। इन दोनों प्रसंगों को देखकर लगता है कि विश्व की महाशक्तियां रूस-यूक्रेन के बाद दो धड़ों में बंटती नजर आ रही है।

रूस और चीन के बीच बढ़ी नजदीकियां

चीनी राष्ट्रपति शी चिंफिंग ने रूस यात्रा के दौरान रूसी अखबार में लिखे एक लेख में बताया था कि दस साल पहले जब वह चीन के राष्ट्रपति बने थे तब उन्होंने सबसे पहले रूस का ही दौरा किया था। राष्ट्रपति बनने के बाद चिंफिंग दस सालों के दौरान आठ बार मास्को की यात्रा कर चुके हैं। हालांकि दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों पुतिन और चिंफिंग के बीच अन्य सम्मेलनों में करीब 40 बार मुलाकात हुई है।

रूस देता आया है परमाणु युद्ध की धमकी

रूस इस युद्ध में लगातार परमाणु हमले की धमकी देता आया है। रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने हाल ही में कहा था कि यूक्रेन को जैसे-जैसे विदेशी हथियार मिलते जा रहे हैं, वैसे-वैसे परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ता जा रहा है। मेदवेदेव के मुताबिक, आज के समय में रूस का पश्चिमी देशों के साथ संबंध सबसे निचले स्तर पर हैं।

24 फरवरी 2022 को शुरू हुई थी रूस-यूक्रेन के बीच जंग

रूस-यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए एक साल से अधिक का समय हो गया है। दोनों देशों के बीच 24 फरवरी 2022 को शुरू हुई इस भीषण जंग ने यूक्रेन को खंडहर में बदलकर रख दिया है। युद्ध के कारण हजारों की संख्या में लोग मारे गए और बहुत से लोग विस्थापित होने को मजबूर हुए। हालांकि यह युद्ध कब और किस मोड़ पर समाप्त होगा इसका अंदाजा लगाना नामुमकिन है।

क्या है NATO

नाटो अथवा उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) एक राजनीतिक और सैन्य गठबंधन है, जिसके पहले 30 सदस्य थे। हालांकि फिनलैंड के इस समूह में शामिल होने के बाद इसकी संख्या बढ़कर 31 हो गई है। मालूम हो कि नाटो का गठन साल 1949 में किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य रक्षा और सामूहिक सुरक्षा को बढ़ावा देना था। नाटो जिस समय बना तब इसके कुल 12 संस्थापक सदस्य थे, जिसमें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे और पुर्तगाल शामिल थे।

गठबंधन बनने के बाद शामिल हुए 19 देश

नाटो गठबंधन बनने के बाद से इसमें कुल 19 देश शामिल हुए हैं। साल 1952 में ग्रीस और तुर्किये ने इस गठबंधन में शामिल हो गए, जबकि 1955 में जर्मनी, 1982 में स्पेन, 1999 में चेक गणराज्य, हंगरी और पोलैंड, साल 2004 में स्लोवाकिया, स्लोवेनिया बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया और रोमानिया, साल 2009 में अल्बानिया और क्रोएशिया, 2017 में मोंटेनेग्रो, 2020 में उत्तर मैसेडोनिया शामिल हुए थे। हालांकि फिनलैंड इस गठबंधन में शामिल होने वाला सबसे नया देश है, जो साल 2023 में इसको ज्वाइन किया।