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क्यों खराब होती है भारतीय शहरों की हवा? CSTEP के सर्वे में पता चल गया

ज्यादातर शहरों में वायु गुणवत्ता खराब रहती है। इसको लेकर कई इंतजाम भी किए जाते हैं लेकिन धरातल पर ज्यादा असर दिखता नहीं है। CSTEP ने कई शहरों में एक सर्वे किया है। शहरों में हवा क्यों खराब हो रही है सर्वे में इसका पता चला है। इसमें पता चला है कि कुछ ही शहर राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के लक्ष्यों को प्राप्त करने के मार्ग पर अग्रसर हैं।

By Jagran News Edited By: Manish Negi Updated: Tue, 27 Aug 2024 02:36 PM (IST)
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क्यों खराब होती है भारतीय शहरों की हवा?

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। भारत में वायु प्रदूषण एक अहम मुद्दा रहा है। सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (CSTEP), शोध-आधारित थिंक टैंक ने एक सर्वे किया है। शहरों में हवा क्यों खराब होती है, सर्वे में इसका खुलासा हुआ है। 76 शहरों में किए गए सर्वे में पता चला है कि कुछ ही शहर राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के लक्ष्यों को प्राप्त करने के मार्ग पर अग्रसर हैं।

2019 में लॉन्च हुआ था NCAP

भारत सरकार ने 2019 में इसे लॉन्च किया था। इसका मकसद उन 131 शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार लाना था जो राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करते। 2.5 वर्षों के इस शोध से पता चलता है कि अध्ययन किए गए शहरों में से केवल 8 शहर ही 2030 तक 40% उत्सर्जन में कमी प्राप्त कर पाएंगे। 2019 के स्तर के मुकाबले, 2030 तक इन शहरों में स्थानीय उत्सर्जन में 11%–45% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जिससे प्रदूषण के स्तर में वृद्धि होगी।

CSTEP द्वारा आयोजित वायु प्रदूषण पर एक उत्कृष्ट सम्मेलन—India Clean Air Summit (ICAS) 2024—के छठे संस्करण में इस अध्ययन के निष्कर्षों पर एक विजुअलाइजेशन पोर्टल लॉन्च किया जायेगा। यह वेबसाइट विस्तृत शहर-विशिष्ट रिपोर्ट और परिज्ञान प्रदान करती है।

क्या है प्रदूषण वायु के कारण?

इस अध्ययन के तहत आधार वर्ष 2019 में चार प्रमुख प्रदूषकों— PM10, PM2.5, SO2, और NOx—की हिस्सेदारी और 2030 तक कई स्त्रोतों के उत्सर्जन का अनुमान लगाया गया है। अध्ययन में शामिल 70% से अधिक शहरों में लिए गए परिवहन और घरेलू ईंधन खपत सर्वेक्षणों के विरुद्ध परिणामों को परखा गया है।

अध्ययन निष्कर्ष इंगित करते हैं कि बिना लक्षित हस्तक्षेपों के 2030 में PM2.5 उत्सर्जन में वृद्धि होने का अनुमान है। अध्ययन में प्रमुख उत्सर्जन स्त्रोतों, जैसे उद्योग, परिवहन, निर्माण और खुले में कचरा जलाने के लिए लक्षित हस्तक्षेपों को भी सूचीबद्ध किया गया है, जिन्हें NCAP लक्ष्यों और स्वच्छ वायु प्राप्त करने के लिए इन शहरों में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

हालांकि प्रत्येक शहर की वायु प्रदूषण चुनौतियां क्षेत्रीय योगदान के अनुसार भिन्न होती हैं, शहरों के आकार के आधार पर कुछ सामान्यताएं पाई गई हैं। बड़े शहरों में भारी वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन को कम करने और दीर्घकालिक परिवहन को प्राथमिकता देने की जरूरत है। इसके विपरीत छोटे शहरों को ठोस ईंधन के उपयोग को कम करने और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जिन शहरों में महत्वपूर्ण औद्योगिक उपस्थित लत है, वहां हरित ईंधन की ओर बदलाव करने को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

अनिर्बन बनर्जी, परियोजना प्रमुख ने व्यक्त किया है कि ‘भारत में वित्तीय संसाधनों का प्रभावी उपयोग करने के लिए वायु प्रदूषण के नियंत्रण उपायों को प्राथमिकता देने की आश्यकता है। इस अध्ययन से मिली जानकारी सरकारी हितधारकों को सूचित निर्णय लेने के लिए सहायक होगी। उत्सर्जन में अधिकतम कमी की क्षमता वाले नियंत्रण उपायों के समयबद्ध कार्यान्वन से शहरों को वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलेगी।'