'मुझे मिला था प्रधानमंत्री बनने का ऑफर', नितिन गडकरी के दावे पर क्या बोले संजय राउत?
Nitin Gadkari on PM Post केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा एक बार विपक्ष के एक नेता मुझसे कहा कि यदि आप प्रधानमंत्री बनते हैं तो मैं आपका समर्थन करूंगा। तब मैंने उनसे पूछा कि आप मुझे समर्थन क्यों करना चाहते हैं ? मैं आपका समर्थन क्यों लूंगा ? इसके बाद गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनना मेरे जीवन का लक्ष्य नहीं है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। केंद्र सरकार में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि उन्हें विपक्ष के एक नेता ने प्रधानमंत्री बनने पर समर्थन देने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन मैंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। गडकरी ने यह नहीं बताया कि उन्हें यह प्रस्ताव किस दल के कौन से नेता ने दिया था।
केंद्रीय मंत्री ने क्या कहा?
रविवार को नागपुर में एक पत्रकारिता पुरस्कार समारोह में बोलते हुए नागपुर से ही तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीते नितिन गडकरी ने कहा एक बार विपक्ष के एक नेता मुझसे कहा कि यदि आप प्रधानमंत्री बनते हैं, तो मैं आपका समर्थन करूंगा। तब मैंने उनसे पूछा कि आप मुझे समर्थन क्यों करना चाहते हैं ? मैं आपका समर्थन क्यों लूंगा ?
इसके बाद गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनना मेरे जीवन का लक्ष्य नहीं है। मैं अपने सिद्धांतों और संगठन के प्रति वफादार हूं। मैं किसी भी पद के लिए समझौता नहीं करूंगा।
नितिन गडकरी के बयान पर क्या बोले संजय राउत?
हालांकि गडकरी ने उन्हें यह प्रस्ताव देनेवाले नेता का नाम नहीं बताया, लेकिन उनका यह बयान आने के बाद शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि नितिन गडकरी भाजपा के सर्वमान्य नेता हैं। अगर विपक्ष के किसी बड़े नेता ने उनसे ऐसा कहा होगा, तो मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ गलत है।
बता दें कि इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने नितिन गडकरी को दिल्ली के सामने न झुकने की सलाह देते हुए महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था।
लोकतंत्र के चारों स्तंभ नैतिकता का पालन करें: गडकरी
इसी समारोह में बोलते हुए गडकरी ने पत्रकारिता और राजनीति, दोनों ने नैतिकता के महत्त्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ईमानदारी से विरोध करने वाले व्यक्ति का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र तभी सफल हो सकता है, जब न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया जैसे लोकतंत्र के चारों स्तंभ नैतिकता का पालन करें।