EVM VVPAT Case: 'बैलेट से चुनाव में क्या होता था, आप भूल गए होंगे पर हमें याद है...' सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण से ऐसा क्यों कहा?
Supreme Court On EVM VVPAT Case भूषण की दलीलों पर पीठ ने पूछा कि उनकी मांग क्या है। भूषण ने तीन मांगे रखीं। पहली चुनाव बैलेट से कराए जाएं। दूसरी वीवीपैट पर्ची मतदाता को मिले और फिर वह उसे बाक्स में डाले। तीसरी वीवीपैट मशीन में पारदर्शी शीशा लगाया जाए जो कि 2017 में मशीन के डिजाइन में परिवर्तन करके हटा दिया गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ईवीएम में हेरफेर की आशंकाएं जताते हुए वीवीपैट पर्चियों की ईवीएम से 100 प्रतिशत मिलान करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सिस्टम पर संदेह नहीं करने की नसीहत दी। शीर्ष कोर्ट ने कहा, हमें किसी पर भरोसा करने की जरूरत है, सिस्टम को इस तरह खारिज करने की कोशिश न करें।
जब बैलेट से चुनाव होता था, तब क्या होता था?
याचिकाकर्ताओं की ओर से बैलेट से चुनाव का जर्मनी का उदाहरण दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में चुनाव कराना बहुत बड़ा काम है, इस तरह के उदाहरण न दें। बैलेट सिस्टम पर लौटने वाले यूरोप के उदाहरण यहां नहीं चल सकते। जर्मनी में पांच-छह करोड़ जनसंख्या है और भारत में 97 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं। इतना ही नहीं कोर्ट ने याचिकाकर्ता संगठन की ओर से बैलेट से चुनाव कराने की पैरोकारी कर रहे वकील प्रशांत भूषण से यह भी कहा कि जब बैलेट से चुनाव होता था, तब क्या होता था, आप भूल गए होंगे पर हमें याद है।
भूषण ने ईवीएम-वीवीपैट सिस्टम में हेरफेर की आशंका जताई
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने गैरसरकारी संगठन 'एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स' की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां कीं। सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने ईवीएम और वीवीपैट सिस्टम में हेरफेर की आशंका जताई। उन्होंने कहा कि वह यह नहीं कह रहे कि हेरफेर किया गया है, उनका तो कहना है कि हेरफेर किया जा सकता है। ईवीएम और वीवीपैट प्रोग्रामेबल चिप होते हैं और इनमें दुर्भावनापूर्ण प्रोग्राम डाले जा सकते हैं।कोर्ट ने चुनाव आयोग पूरी प्रक्रिया की व्यवस्था बताने को कहा
इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि मानवीय हस्तक्षेप से समस्याएं पैदा होती हैं, वहां मानवीय कमजोरियां और पूर्वाग्रह हो सकता है, लेकिन सामान्य तौर पर मानवीय हस्तक्षेप के बगैर मशीन एकदम सटीक परिणाम देगी। समस्या तब पैदा होती है, जब हेरफेर या अनधिकृत परिवर्तन करने के लिए मानवीय हस्तक्षेप होता है। यदि आप उस पर बहस करना चाहते हैं तो करें। इसके साथ ही कोर्ट ने चुनाव आयोग को मतदान से लेकर मतगणना तक अपनाई जाने वाली पूरी प्रक्रिया, आंकड़े और ईवीएम मशीन, वीवीपैट आदि की सुरक्षा की होने वाली व्यवस्था बताने को कहा।
भूषण की दलीलों पर पीठ ने पूछा कि उनकी मांग क्या ?
भूषण की दलीलों पर पीठ ने पूछा कि उनकी मांग क्या है। भूषण ने तीन मांगे रखीं। पहली, चुनाव बैलेट से कराए जाएं। दूसरी, वीवीपैट पर्ची मतदाता को मिले और फिर वह उसे बाक्स में डाले। तीसरी वीवीपैट मशीन में पारदर्शी शीशा लगाया जाए जो कि 2017 में मशीन के डिजाइन में परिवर्तन करके हटा दिया गया है और अब उसकी जगह एक धुंधला सा शीशा लगा दिया गया है और सात सेकेंड के लिए लाइट जलती है जब मतदाता अपनी पर्ची देख सकता है, लेकिन वह अंदर यह नहीं देख सकता।कोर्ट ने कहा- सिस्टम को खारिज करने की कोशिश न करें
कुछ यूरोपीय देशों के बैलेट सिस्टम पर लौटने की दलीलों पर जस्टिस दत्ता ने कहा, 'यह बहुत बड़ा काम है। कोई भी यूरोपीय देश ऐसा नहीं कर सकता। आपने जर्मनी की बात की, लेकिन वहां की आबादी कितनी है। मेरा गृह राज्य बंगाल ही जर्मनी से कहीं अधिक आबादी वाला है। हमें चुनावी प्रक्रिया में आस्था और विश्वास बनाए रखना होगा। इस तरह सिस्टम को खारिज करने की कोशिश न करें।' जब भूषण ने कहा कि ज्यादातर लोग ईवीएम पर भरोसा नहीं करते तो जस्टिस दत्ता ने सवाल किया कि ये आंकड़ा उन्हें कहां से मिला।