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Muktsar Crime: मुक्तसर रोडवेज डिपो में 24.64 लाख की धांधली, सब इंस्पेक्टर सहित तीन कर्मचारी नामजद

मुक्तसर के रोडवेज डिपो में मार्च माह में सामने आई लाखों की धांधली के मामले में सात माह तक चली जांच के बाद 24.64 लाख की धांधली पाई गई है। मामले में रोडवेज डिपो के सस्पेंड चल रहे सब इंस्पेक्टर सहित तीन कर्मचारियों के खिलाफ थाना सिटी में केस दर्ज किया गया है। यह केस जीएम जसमीत सिंह के बयानों पर दर्ज हुआ है। फिलहाल तीनों आरोपित फरार हैं।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Tue, 07 Nov 2023 07:15 PM (IST)
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मुक्तसर में 24.64 लाख की धांधली, सब इंस्पेक्टर सहित तीन नामजद, File Photo

जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब। मुक्तसर के रोडवेज डिपो में मार्च माह में सामने आई लाखों की धांधली के मामले में सात माह तक चली जांच के बाद 24.64 लाख की धांधली पाई गई है। मामले में रोडवेज डिपो के सस्पेंड चल रहे सब इंस्पेक्टर सहित तीन कर्मचारियों के खिलाफ थाना सिटी में केस दर्ज किया गया है। यह केस जीएम जसमीत सिंह के बयानों पर दर्ज हुआ है। फिलहाल तीनों आरोपित फरार हैं। 

इन लोगों को किया था सस्पेंड

बता दें कि शुरुआत में 25 हजार की धांधली पाई गई थी, लेकिन इसकी राशि लाखों में होने का संदेह था। 23 मार्च को जीएम ने मामले में सब इंस्पेक्टर दविंदर पाल सिंह, ठेका कर्मचारी डाटा एंट्री ऑपरेटर जसप्रीत सिंह व कंडक्टर नंबर सात चरणजीत सिंह को सस्पेंड कर दिया गया था। 

24 लाख 64 हजार 372 रुपये की धांधली

पुलिस को दी शिकायत में जीएम जसमीत सिंह ने बताया कि सब इंस्पेक्टर दलजीत सिंह,डाटा एंट्री ऑपरेटर जसप्रीत सिंह व कंडक्टर चरणजीत सिंह की ओर मिलीभगत करके माइक्रो एफएक्स कंपनी के सिस्टम टिकट वे बिलों के साथ छेड़छाड़ कर 24 लाख 64 हजार 372 रुपये की धांधली की है। यह आरोपित काफी समय से हेराफेरी करते आ रहे थे। जिसकी भनक जब उनको लगी तो उन्होंने मामले की जांच कर तीनों को सस्पेंड कर दिया था। अब पूरी जांच करने के बाद उक्त राशि की धांधली सामने आई है। 

धारा 409 आइपीसी के तहत केस दर्ज

एसआइ लखविंदर सिंह ने बताया कि मामले में उक्त तीनों आरोपितों के खिलाफ धारा 409 आइपीसी के तहत केस दर्ज कर लिया गया है। आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए छापामारी की जा रही है। जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। 

मामले की उच्च स्तर पर चल रही थी जांच

सूत्रों के मुताबिक जब धांधली की भनक उस समय अधिकारियों के ध्यान में आई तो तीनों कर्मचारी इतने शातिर हैं कि जांच की भनक लगने पर इन्होंने पुराना डाटा ही डिलीट कर दिया था। जीएम जसमीत सिंह ने तीनों से पूछताछ की स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए थे। जिसके बाद मामला संदिग्ध लगने पर जीएम ने तीनों को सस्पेंड कर मामले की जांच उच्च स्तरीय शुरू कर दी गई। 28 मार्च को रोडवेज के हेड आफिस एसएएस नगर से टीम जांच के लिए पहुंची थी और अधिकारियों को फटकार लगाई गई थी। उसके बाद लगातार मामले की जांच चल रही थी। सात माह बाद धांधली की राशि क्लीयर होने पर तीनों कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।