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सारनाथ का बोधि वृक्ष

भगवान बुद्ध से जुड़ी तीर्थ स्थली सारनाथ में बोधि वृक्ष (पीपल का पेड़) का आधा हिस्सा टूटकर गिर गया। इसकी वजह तने का खोखला होना बताया जा रहा है। घटना भोर में हुई इससे जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ। जानकारी के मुताबिक सारनाथ स्थित मूलगंध कुटी विहार बौद्ध परिसर में बोधि वृक्ष का आधा हिस्सा भोर में करीब 4.30 बजे अचान

By Edited By: Updated: Mon, 23 Jun 2014 02:41 PM (IST)
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वाराणसी। भगवान बुद्ध से जुड़ी तीर्थ स्थली सारनाथ में बोधि वृक्ष (पीपल का पेड़) का आधा हिस्सा टूटकर गिर गया। इसकी वजह तने का खोखला होना बताया जा रहा है। घटना भोर में हुई इससे जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ। जानकारी के मुताबिक सारनाथ स्थित मूलगंध कुटी विहार बौद्ध परिसर में बोधि वृक्ष का आधा हिस्सा भोर में करीब 4.30 बजे अचानक गिर गया।

वृक्ष की मोटी डाल सहायक शाखाओं के साथ मंदिर के उत्तर तरफ गिरी। संयोग ही था कि इससे वहां भगवान बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं वाली प्रतीक स्वरूप 28 प्रतिमाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। साथ ही वहां भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा और पांच शिष्यों की उपदेश ग्रहण मुद्रा में बनाई गई मूर्ति भी सुरक्षित बच गई। अलबत्ता आधा दर्जन धम्म चक्र सहित मंदिर की रेलिंग क्षतिग्रस्त हो गई। वृक्ष का शेष आधा हिस्सा सुरक्षित है।

संस्थापक लाए थे श्रीलंका से

करीब 2600 वर्ष पूर्व बोध गया में भगवान बुद्ध को बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। बाद में इस वृक्ष का एक हिस्सा ले जाकर श्रीलंका में लगाया गया था। सन 1931 में श्रीलंका से वृक्ष की एक शाखा महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया के संस्थापक भिक्षु अनागारिक धर्मपाल सारनाथ ले आए और उसे मूलगंध कुटी विहार बौद्ध परिसर में लगाया गया। तभी से देश-विदेश से आने वाले बौद्ध अनुयायी यहां आकर दर्शन-पूजन संग इस वृक्ष की परिक्रमा करते रहे हैं।

पूजन के बाद काटी डाली

आज दोपहर में पूजन के बाद बोधि वृक्ष के गिरे हिस्से की लकड़यों को काटने का सिलसिला शुरू हुआ। भिक्षु ज्ञानलोक, भिक्षु सूर्या व भिक्षु चंदिका ने पूजन कर क्षतिग्रस्त बोधि वृक्ष की टहनियों की कटाई शुरू कराई। अब इन लकड़यों को परिसर में ही सुरक्षित रख दिया जाएगा। ज्ञात हो कि बौद्ध अनुयायियों में इस वृक्ष की इतनी महत्ता है कि वह शाख से टूटकर गिरे पत्तों को भी पूजा के लिए अपने साथ ले जाते हैं।