Masik Shivratri पर ऐसे करें महादेव की पूजा, सभी कार्यों में मिलेगी सफलता और जीवन होगा खुशहाल
मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। साथ ही महादेव की कृपा प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता है। शिव पुराण में इस पर्व की महिमा का वर्णन देखने को मिलता है। इस दिन पूजा के दौरान शिव चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और साधक को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस प्रकार भाद्रपद महीने में 01 सितंबर को मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2024 Date) है। इस व्रत को विवाहित और अविवाहित महिलाएं करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से साधक को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। मासिक शिवरात्रि पर शिव चालीसा का पाठ करना साधक के लिए फलदायी साबित होता है।
शिव चालीसा
||दोहा||जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
चौपाईजय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥यह भी पढ़ें: Masik Shivratri 2024: भाद्रपद की मासिक शिवरात्रि पर जरूर करें ये उपाय, ग्रह दोष में मिलेगी राहत
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे॥त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥|| दोहा ||बहन करौ तुम शीलवश, निज जनकौ सब भार।गनौ न अघ, अघ-जाति कछु, सब विधि करो सँभारतुम्हरो शील स्वभाव लखि, जो न शरण तव होय।तेहि सम कुटिल कुबुद्धि जन, नहिं कुभाग्य जन कोयदीन-हीन अति मलिन मति, मैं अघ-ओघ अपार।कृपा-अनल प्रगटौ तुरत, करो पाप सब छार॥कृपा सुधा बरसाय पुनि, शीतल करो पवित्र।
राखो पदकमलनि सदा, हे कुपात्र के मित्र॥।। इति श्री शिव चालीसा समाप्त ।।यह भी पढ़ें: Masik Shivratri पर इन कार्यों से बनाएं दूरी, तभी प्रसन्न होंगे महादेव और पूजा होगी सफल
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