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Shankha Importance: हर शुभ कार्य से पहले बजाया जाता है शंख, जानें इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

Shankha Importance शंख को आसपास के वातावरण को शुद्ध करने के साधन के रूप में देखा जाता है जिससे यह धार्मिक कार्यों के लिए अनुकूल हो जाता है। इसकी गूंजती आवाज परमात्मा के आह्वान के समान है जब इसे किसी धार्मिक समारोह की शुरुआत में बजाया जाता है तो यह देवी-देवताओं के लिए निमंत्रण के रूप में कार्य करता है जो पूजा की शुरुआत का प्रतीक है।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sun, 21 Jan 2024 10:00 AM (IST)
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मंदिरों और अनुष्ठानों में बजाया जाता है शंख
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shankha Importance: सनातन धर्म में शंख की ध्वनी बेहद शुभ मानी गई है। हर शुभ कार्य में शंख बजाया जाता है। यह एक ऐसी परंपरा है, जो बहुत लंबे समय से चली आ रही है। इसके अलावा यह आध्यात्मिक का प्रतीक है। शंख से निकलने वाली पहली ध्वनि विशेष रूप से किसी मंदिर में या धार्मिक समारोहों के दौरान, किसी अनुष्ठान या प्रार्थना जैसी पवित्र और शुद्ध चीज की शुरुआत का आगाज करती है। शुभ चीज का संकेत होने के अलावा, शंख के और भी बहुत सारे अर्थ हैं, तो आइए विस्तार से जानते हैं -

शंख से जुड़ी कुछ बातें

शंख लंबे समय से सनातन धर्म में अनुष्ठानों का हिस्सा रहा है। इसका इतिहास पौराणिक कथाओं के साथ प्राचीन ग्रंथों से भी जुड़ा हुआ है। भगवान विष्णु और श्री कृष्ण भी सदैव शंख को अपने हाथ में धारण करते हैं, जहां भगवान कृष्ण महाभारत युद्ध की शुरुआत से पहले शंख बजाते थे।

वहीं इतिहास में शंख का उपयोग युद्धों की शुरुआत की घोषणा करने के लिए किया जाता था, जो कर्तव्य, धार्मिकता और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

शंख का धार्मिक महत्व

हमारे पूर्वजों और पवित्र ग्रंथों के अनुसार, शंख बजाने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू इसकी पवित्रता और सकारात्मकता है। ऐसा माना जाता है कि शंख से उत्पन्न ध्वनि वातावरण को शुद्ध करती है और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करती है। इसे आसपास के वातावरण को शुद्ध करने के साधन के रूप में भी देखा जाता है, जिससे यह धार्मिक कार्यों के लिए अनुकूल हो जाता है।

शंख की गूंजती आवाज परमात्मा के आह्वान के समान है, जब इसे किसी धार्मिक समारोह की शुरुआत में बजाया जाता है, तो यह देवी-देवताओं के लिए निमंत्रण के रूप में कार्य करता है, जो पूजा की शुरुआत का प्रतीक है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को शंख जरूर बजाना चाहिए।

​मंदिरों और अनुष्ठानों में बजाया जाता है शंख

सनातन धर्म में किसी पूजा और आरती समारोह की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए शंख बजाया जाता है। यह प्रथा मंदिरों और कुछ भारतीय घरों में आज भी जारी है, जिससे शंख की पवित्रता और भक्त को परमात्मा से जोड़ने में इसकी भूमिका को बल मिलता है।

वास्तव में, कुछ घरों में, परिवार के सदस्य प्रतिदिन सुबह 4 बजे सूर्योदय से पहले या उसके दौरान शंखनाद करते हैं। इससे घर में सदैव बरकत बनी रहती है।

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।