11 साल पहले बीएसएनएल ने आखिरी टेलीग्राम संदेश भेजकर खत्म कर दी थी यह सेवा
टेलीग्राम सर्विस को बंद हुए आज 11 साल का वक्त बीत चुका है। 14 जुलाई 2013 को आखिरी बार टेलीग्राम सर्विस का भारत में इस्तेमाल किया गया था। इसको बंद करने के पीछे कंपनी के पास संसाधनों की कमी थी। अंग्रेजों द्वारा शुरू हुई इस सर्विस ने 163 सालों तक बरकरार काम किया। मोबाइल के आने से पहले यह सर्विस कम्युनिकेशन का सबसे तेज जरिया हुआ करती थी।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। टेक्नोलॉजी का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। समय के साथ हम आधुनिक होते जा रहे हैं। नई तकनीक आने के साथ पुरानी चीजें समाप्त हो जाती हैं। आज भारत में आखिरी बार टेलीग्राम सर्विस का इस्तेमाल हुए 11 साल हो चुके हैं। अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई ये सर्विस आखिरी बार 14 जुलाई 2013 को इस्तेमाल की गई थी।
14 जुलाई 2013 को भेजा गया आखिरी मैसेज
अंग्रेजों के द्वारा शुरू की गई ये सर्विस 163 सालों तक बरकरार काम करती रही, लेकिन साल 2013 में आज ही के दिन इस सर्विस पर विराम लगाया गया। आज से 11 साल पहले बीएसएनल ने इस सर्विस को बंद करने का फैसला लिया था, उसने कहा कि सर्विस चलाए रखने के लिए उसके पर्याप्त संसाधन नहीं है।
भारत में अब तक का आखिरी टेलीग्राम 14 जुलाई 2013 को रात 11:55 बजे नागपुर शहर से कविता वाघमारे ने अपनी मां को भेजा था। इसमें उन्होंने एक कविता लिखी थी जिसमें उन्होंने अपनी मां के प्यार की तारीफ की और उसे सलाम किया। साथ ही मैसेज में टेलीग्राम स्टाफ को 163 साल की लंबी सेवा के लिए सलाम किया और आखिर में अपनी मातृभूमि भारत को सलाम किया।
टेलीग्राम सर्विस से जुड़ी कुछ दिलचस्प चीजें
- मोबाइल फोन आने से पहले टेलीग्राम सर्विस कम्युनिकेशन करने का सबसे तेज जरिया था। इस सर्विस ने भारत में 163 सालों का लंबा सफर तय किया।
- टेलीग्राम के जरिये पहला कम्युनिकेशन 1850 में कोलकाता और डायमंड हार्बर के बीच हुआ था, जो मुख्य शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है।
- टेलीग्राम सर्विस शुरू करने का श्रेय सैमुअल मोर्स को जाता है। टेलीग्राम मैसेज भेजने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कोड मोर्स कोड का नाम उनके नाम पर ही रखा गया है।
कैसे खत्म हुआ सालों का सफर?
इस सर्विस के बंद होने के पीछे कंपनी के पास संसाधन की कमी होना था। सर्विस को चलाए रखने के लिए बहुत सारे पैसे की जरूरत थी, लेकिन इसको चलाने वाली कंपनी के पास पर्याप्त राजस्व न होने के कारण सर्विस को साल 2013 में बंद कर दिया गया। अपने अंतिम वर्षों के दौरान यह सर्विस सालाना 75 लाख रुपये का राजस्व ही कमा रही थी। लेकिन इसका संचालन करने के लिए 100 करोड़ रुपये की जरूरत थी। जो कि कमाई से बहुत ज्यादा था।