Ganesh Chaturthi 2022: दक्षिण भारत की झलक लिये है आगरा का श्री वरद वल्लभा गणपति मंदिर, दस दिनों तक होगा यहां अष्टेत्तर हवन, होगी विश्व शांति की प्रार्थना
Ganesh Chaturthi 2022 श्री वरद वल्लभा गणपति मंदिर छलेसर में 10 दिवसीय प्रथम गणेश चतुर्थी महोत्सव 31 अगस्त से। जनकल्याण और विश्व शांति के लिए हर शाम होगा श्री गणेश अष्टेत्तर हवन। आगरा- फिरोजाबाद रोड स्थित छलेसर पर बना है मंदिर।
आगरा, जागरण संवाददाता। पिछले वर्ष एनआरएल समूह द्वारा छलेसर में बेस्ट प्राइस के निकट स्थापित बेहद खूबसूरत और भव्य श्री वरद बल्लभा गणपति मंदिर में पहली बार 10 दिवसीय गणेश चतुर्थी महोत्सव 31 अगस्त से आयोजित किया जाएगा। एनआरएल समूह के मुखिया हरिमोहन गर्ग ने बताया कि महोत्सव के पहले दिन 31 अगस्त, बुधवार को सुबह 6:00 बजे वरद वल्लभा गणपति भगवान का चतुर्थी अभिषेक, 8:00 बजे श्रृंगार आरती और दर्शन, 9:00 बजे कलश स्थापना और गणेश पूजन, शाम 5:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक फूल बंगला दर्शन और इस दौरान शाम 7:30 बजे महा आरती के दर्शन होंगे।
7 सितंबर को शाम 5:00 बजे से रात 10:00 बजे तक छप्पन भोग की दिव्य झांकी के दर्शन होंगे। 8 सितंबर को शाम 5:00 बजे से रात 10:00 बजे तक फूल बंगला के दर्शन होंगे। 9 सितंबर को सुबह 9:00 बजे पूर्णाहुति हवन, प्रसाद वितरण और मूर्ति विसर्जन के साथ महोत्सव का समापन होगा। 31 अगस्त से 8 सितंबर तक विश्व शांति और जनकल्याण की भावना से हर शाम 5:00 बजे से 6:00 बजे तक श्री गणेश अष्टेत्तर हवन का आयोजन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त मंदिर में पूजा करवाने या फूल बंगला सजवाने के इच्छुक भक्त या दर्शनार्थी मंदिर प्रबंधक नितिन से मोबाइल नंबर 9997512016 पर या 9548523995 पर संपर्क कर सकते हैं।
12 साल पहले रखी गई थी मंदिर की नींव
आगरा-फिरोजाबाद रोड स्थित छलेसर पर अष्टकोणीय वरद वल्लभा गणपति मंदिर की नींव 12 साल पहले एनआरएल ग्रुप के हरीमोहन गर्ग, उनके बेटे रोहित और सिद्धांत गर्ग ने रखी गई थी। सिद्धांत गर्ग ने बताया कि करीब 12 साल पहले उनके पिता हरीमोहन गर्ग के सपने में भगवान गणेश आए थे। इसके बाद ही उन्होंने गणपति मंदिर बनाने की सोची।मंदिर को दक्षिण भारतीय मंदिर की शैली में बनाया गया। मंदिर निर्माण की कारीगरी में प्रयुक्त कला और हस्तशिल्प जैसलमेर की विशेष आभा लिए पीले पत्थरों ने मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए। मंदिर दो हजार वर्ग में बना है। मंदिर में दक्षिण भारत के पुजारी हर दिन विधि-विधान से पूजा अर्चना करते हैं।
अष्टकोणीय है डिजाइन
दक्षिण भारतीय शैली पर आधारित इस मंदिर का डिजाइन अष्टकोणीय है, जो सबको पसंद आता है। भारत में पुणे में ही वरद वल्लभ गणपति का मंदिर है। इसके अलावा न्यूयार्क में भी ऐसा ही मंदिर है।
पद्मश्री पेरूमल सत्पति ने बनाई मूर्ति
मंदिर की खासियत है इसकी प्रतिमा, जिसे पद्मश्री पेरूमल सत्पति ने बनाया है। ये मूर्ति केवल एक पत्थर की बनी है, जिसमें कोई जोड़ नहीं है। एक पत्थर को ही गणेशजी का आकार दिया गया है। प्रतिमा का वजन तीन टन और ऊंचाई चार फीट है। मूर्ति ग्रेनाइट के पत्थर से बनाया गया है।