राज्यसभा में फिर गूंजा आगरा में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने का मुद्दा, 1956 से चली आ रही है यह मांग
राज्यसभा में उत्तर प्रदेश के आगरा में हाईकोर्ट की एक और बेंच बनाने का मुद्दा आज फिर सुनाई दिया। सांसद रामजीलाल सुमन ने जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह अफसोसजनक है कि लंबे समय से चल रही यह मांग आज तक अधूरी है। सांसद के अनुसार न्यायलयों पर बढ़ते दबाव को देखते हुए नई बेंच बनाई जानी चाहिए।
जागरण संवाददाता, आगरा। राज्यसभा सदस्य रामजीलाल सुमन ने मंगलवार को राज्यसभा में आगरा में इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश काल में वर्ष 1866 से 1868 तक नॉर्थ वेस्ट प्रोविंस के आगरा में हाईकोर्ट था। बाद में उसे प्रयागराज स्थानांतरित कर दिया गया।
वर्ष 1956 में आल इंडिया हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं की बैठक हुई, जिसमें आगरा में पुन: हाईकोर्ट स्थापित करने की मांग उठाई गई।
रामजीलाल सुमन ने कहा कि उत्तर प्रदेश के समान अन्य प्रांतों में भी हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने की मांग पर भारत सरकार ने जसवंत सिंह आयोग का गठन किया था।
आयोग ने मद्रास हाईकोर्ट की बेंच मदुरई और मुंबई हाईकोर्ट की बेंच औरंगाबाद में स्थापित करने की संस्तुति की थी। वर्ष 1985 में अधिवक्ताओं ने आगरा से दिल्ली तक पदयात्रा कर राष्ट्रपति से मुलाकात कर आगरा में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने का आग्रह किया।
वर्ष 1987 में आगरा बार काउंसिल ने हाईकोर्ट में जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने का आग्रह कियाा। इसके बाद सार्वजनिक की गई रिपोर्ट में पाया गया कि आयोग ने हाईकोर्ट की बेंच के लिए आगरा को सबसे उत्तम स्थान माना था। यह अफसोसजनक है कि आगरा में अभी तक हाईकोर्ट की बेंच स्थापित नहीं हो सकी है।
जनतंत्र में संघर्ष का ऐसा कोई तरीका नहीं है जो अधिवक्ताओं ने नहीं अपनाया हो। सुमन ने कहा कि देश के न्यायालयों में पांच करोड़ से अधिक मुकदमे विचाराधीन हैं।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के 74 पद खाली हैं। चतुर्थ व तृतीय श्रेणी के कर्मचारी भी पर्याप्त संख्या में नहीं हैं। सस्ता एवं सुलभ न्याय कहीं नहीं दिखाई देता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में वादों का अत्यधिक दबाव है, इसलिए आवश्यक है कि आगरा में बेंच की स्थापना हो।
100वीं वर्षगांठ पर एक सप्ताह तक हुए थे कार्यक्रम
वर्ष 1966 में हाईकोर्ट की 100वीं वर्षगांठ मनाई गई थी। तीन सप्ताह प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) और एक सप्ताह आगरा में कार्यक्रम हुए थे। इसमें हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश समेत अनेक न्यायाधीश शामिल हुए थे। वर्ष 1981 में आगरा बार काउंसिल के अनुरोध पर उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने की मांग उठाई गई थी।