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Birth Anniversary of Netaji Subhash Chandra Bose: नेता जी ने तब भरा था ब्रजवासियों में एकजुटता का जोश

Birth Anniversary of Netaji Subhash Chandra Bose मथुरा के भैंस बहोरा में अनुमति नहीं मिली तो नेता जी ने की थी जमुनापार सभा। भाषण के एक-एक शब्द ने युवाओं की फड़काईं भुजाएं। नेताजी का भाषण सुन तत्कालीन कलक्टर मौके से भाग गया था।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Fri, 22 Jan 2021 05:51 PM (IST)
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नेताजी सुभाष चंद बोस की जयंती पर विशेष।

आगरा, जेएनएन। स्वतंत्रता आंदोलन के लिए ब्रजभूमि से भी नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने एकजुटता का संदेश दिया था। जब भैंस बहोरा इलाके में अंग्रेजी हुकूमत ने सभा की अनुमति नहीं दी, तो नेता जी ने जमुनापार सभा की। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा, नेता जी ने ये नारा दिया तो सभा स्थल वंदे मातरम के जयघोष से गूंज उठा। नौजवान भारत सभा के संयोजन में वर्ष 30 मई 1931 में शहर के भैंस बहोरा इलाके में एक सभा होनी थी। सभा सफल हो, इसलिए इसी इलाके में कई दिन पहले कार्यालय खोला गया। नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ता लोगों से रात -दिन संपर्क करते। सुभाषचंद्र बोस को सभापति बनना था। ये सुभाष चंद्र बोस के प्रति लोगों का रुझान ही था कि उनका भाषण सुनने के लिए लोग उतावले थे। माहौल को देख अंग्रेजी हुकूमत ने सभा की अनुमति नहीं दी। ऐसे में जमुना पार इलाके में यमुना किनारे सभा की गई। सुभाषचंद्र बोस के भाषण का एक-एक शब्द युवाओं की भुजाएं फड़काता रहा। वरिष्ठ साहित्यकार डा. नटवर नागर बताते हैं कि नेताजी का भाषण सुन तत्कालीन कलक्टर मौके से भाग गया था। उप्र. नौजवान सभा के अध्यक्ष भूपेंद्रनाथ सन्याल को बिना अनुमति सभा कराने पर बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। 4 अगस्त 1931 को उन्हें एक साल की सजा और 100 रुपये का जुर्माना लगाया गया। वह बताते हैं कि सभा को सफल बनाने में गोपाल प्रसाद चतुर्वेदी, रामशरणदास जौहरी, रामजीदास गुप्त, शिवशंकर उपाध्याय, रामसिंह, गिर्राज किशोर, बाबूलाल का योगदान रहा था। वह बताते हैं कि प्रो. चिंतामणि शुक्ल द्वारा लिखित पुस्तक मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास में सुभाषचंद्र बोस के मथुरा आगमन और सभा को संबोधित करने का संदर्भ मिलता है।