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...ताकि मिटने न पाए करील वृक्ष की पहचान, प्रतापगढ़ में रामायण काल के पेड़ को संरक्षित करने की पहल

मान्यता है कि इस वृक्ष की छाया में भगवान राम ने विश्राम किया था। पेड़ की हर पत्ती पर राम का नाम लिखा होता था। गोस्वामी तुलसीदास ने राम चरित मानस में इसका उल्लेख किया है। यह एक मात्र पेड़ प्रतापगढ़ के लालगंज तहसील के घुइसरनाथ धाम के पास है।

By Ankur TripathiEdited By: Updated: Thu, 19 Aug 2021 07:29 AM (IST)
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विरासत वृक्ष में जगह मिलने से जगी उम्मीद, वन गमन के दौरान श्री राम ने किया था यहां विश्राम

प्रतापगढ़, जागरण संवाददाता। सई नदी के किनारे जहां बाबा घुइसर नाथ भक्तों का सहारा बने हैं, वहीं बगल में ही करील का पौराणिक पेड़ भी आकर्षण में है। रामायण काल के इस पेड़ को प्रदेश सरकार द्वारा विरासत वृक्ष की सूची में शामिल कर लिए जाने के बाद इसके संरक्षण की रूपरेखा बन रही है।

पेड़ की हर पत्ती पर श्री राम का नाम लिखा होता था

मान्यता है कि इस वृक्ष की छाया में वन गमन के दौरान भगवान राम ने विश्राम किया था। उनकी कृपा ऐसी रही कि पेड़ की हर पत्ती पर राम का नाम लिखा होता था। गोस्वामी तुलसीदास ने भी राम चरित मानस में इसका उल्लेख किया है। इस तरह का यह एक मात्र अनोखा पेड़ प्रतापगढ़ के लालगंज तहसील के घुइसरनाथ धाम के पास है। अब भी इस पेड़ को हरा-भरा देख लोग हाथ जोड़ लेते हैं। हाल ही में प्रदेश शासन द्वारा 100 साल या उससे अधिक आयु के ऐसे पेड़ों को विरासत वृक्ष घोषित करने की पहल की गई, जो जो धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व के हैं। इसमें इस करील के पेड़ को भी शामिल किया गया है। इस पेड़ को उत्तर प्रदेश जैव विविधता बोर्ड की देखरेख में वन विभाग संरक्षित करेगा। इसके महत्व को वहां लिखा जाएगा। वहां तक जाने के मार्ग को दुरुस्त किया जाएगा। पर्यटन के नजरिए से ओर भी कार्य कराए जाएंगे। डीएफओ वरुण सिंह का कहना है कि करील के पेड़ का संरक्षण किया जाएगा। प्रयास यही है कि नई पीढ़ी इस तरह की विरासत के बारे में जाने। साथ ही पेड़ का अस्तित्व भी कायम रहे। इसके लिए शासन से टीम आएगी।

नहीं है सही रास्ता

नदी के किनारे टीले नुमा जगह पर यह पेड़ है। यहां तक जाने को सही तरह से रास्ता नहीं है। रात में अंधेरा रहता है। अब उम्मीद है कि यह स्थल बाबा घुइसरनाथ धाम के पर्यटन विकास का नया अध्याय बनेगा। शिव जी के धाम में एकता महोत्सव भी खास पहचान रखता है। इसमें नामी-गिरामी कलाकार जुटते हैं।