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अब रेलवे ट्रैक पर साइकिल भी दौड़ेगी, आइये जानते हैं क्‍या होगी सहूलियत Prayagraj News

इलाहाबाद मंडल के जनसंपर्क अधिकारी अमित सिंह बताते हैं कि ट्रैक साइकिल में चार पहिए लगे हैं जो स्टील रॉड से जुड़े हुए हैं। पीछे के दोनों पहिए बड़े हैं जबकि आगे लगे रोलरनुमा दोनों पहिए छोटे हैं। एक फ्रेम से जुड़े होने के कारण यह काफी बैलेंस है।

By Rajneesh MishraEdited By: Updated: Wed, 03 Feb 2021 06:00 AM (IST)
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एनसीआर के प्रयागराज स्थित वरिष्ठ मंडल अभियंता की कार्यशाला में तैयार साइकिल को ' ट्रैक साइकिल' नाम दिया गया है।

प्रयागराज, जेएनएन। अभी तक तो रेलवे के ट्रैक पर ट्रेनें ही चलती थीं लेकिन जल्द ही साइकिल भी दौड़ती नजर आएगी। इसे सच कर दिखाया है, उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद मंडल के अभियंताओं ने, उन्होंने एक ऐसी साइकिल का आविष्कार किया है कि उसको स्टील की बनी रेल की पटरियों पर आसानी से चलाया जा सकता है। फिलहाल प्रायोगिक तौर पर इन साइकिलों का इस्‍तेमाल किया जा रहा है।

दो ट्रैकमैन चल सकते हैं एक साथ, वजन में है काफी हल्की

उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज स्थित वरिष्ठ मंडल अभियंता की कार्यशाला में तैयार साइकिल को 'ट्रैक साइकिल' नाम दिया गया है। इलाहाबाद मंडल के जनसंपर्क अधिकारी अमित सिंह बताते हैं कि ट्रैक साइकिल में चार पहिए लगे हैं जो स्टील रॉड से जुड़े हुए हैं। पीछे के दोनों पहिए बड़े हैं जबकि आगे लगे रोलरनुमा दोनों पहिए छोटे हैं। एक फ्रेम से जुड़े होने के कारण यह काफी बैलेंस है जिससेे चलाते समय ट्रैकमैन गिरते नहीं हैं। इस पर दो ट्रैकमैन एक साथ चल सकते हैं। वजन 25 किलोग्राम है। हल्की होने के कारण इसे एक आदमी आसानी से उठाकर किनारे रख सकता है जबकि पहले की निरीक्षण ट्राली को हटाने में चार लोग लगते थे। निर्माण में कुल तीन हजार की लागत आई है।

ट्रैकमैनों को होगी सुविधा, ट्रैक की जांच को नहीं चलना होगा पैदल

तेज गति से रेलवे ट्रैक पर दौड़ती ट्रेनों की सुरक्षा के लिए रेल ट्रैक का निरंतर रखरखाव किया जाता है। यह बहुत ही दुष्कर कार्य है। ट्रैक की सेहत ठीक रहे इसके लिए समय-समय पर आधुनिक उपकरणों से उनकी जांच की जाती है किंतु ट्रैक का रोजाना निरीक्षण ट्रैकमैन के हवाले ही होता है जो पैदल ही ट्रैक पर चलकर रेल संरक्षा को पुख्ता करते हैं। इस जांच प्रक्रिया में एक ट्रैकमैन को करीब पांच किलोमीटर लंबा ट्रैक मिलता है जिसकी नियमित जांच करना होता है। पैदल इस दूरी को तय करने में उन्हें एक से सवा घंटे लग जाते हैं। इतना ही समय वापसी में लग जाते हैं। साइकिल से ट्रैक का निरीक्षण करने में यह समय करीब आधा हो जाएगा।  

संरक्षा-सुरक्षा की दृष्टि से रेलवे की अहम कड़ी होते हैं ट्रैकमैन

ट्रेनों व रेल पटरियों की संरक्षा-सुरक्षा की दृष्टि से ट्रैकमैन काफी अहम होते हैं। ठंड हो या बारिश के दिन अथवा तपती दोपहरी हो, ट्रैकमैन अपने काम में लगे रहते हैं। हथौड़ा, प्लास, रिंच, और पेंचकस आदि से भरे भारी थैले को लटकाए पांच-पांच किमी. ट्रैक का निरीक्षण उन्हें पैदल ही करना होता है। साइकिल से न केवल एक बार में ही दोनों तरफ की पटरी का निरीक्षण संभव हो सकेगा बल्कि श्रम और समय की भी बचत होगी। उत्तर मध्य रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी डा.अमित मालवीय के मुताबिक इस साइकिल की रेलमंत्री भी तारीफ कर चुके हैं। मंडल रेल प्रबंधक और अन्य अधिकारियों ने भी इसे ट्रैक पर चलाकर देखा है। उत्‍तर मध्‍य रेलवे के मुख्‍य जनसंपर्क अधिकारी अजीत कुमार सिंह के मुताबिक टैक साइकिल अभी सीमित संख्‍या में ही तैयार की गई हैं जिनका जरूरत के अनुसार इस्‍तेमाल किया जा रहा है। और साइकिलें तैयार हो जाने पर उन्‍हें मंडल के अन्‍य रेलखंडों में कार्यरत ट्रैकमैनों को दिया जाएगा।