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Sanskarshala: सजगता ही डिजिटल प्लेटफार्म पर जालसाजी से बचाएगी, ऐसा प्रधानाचार्य स्‍वास्तिक बोस का मानना है

डिजिटल इंडिया अभियान का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी सेवाओं को आसानी से पहुंचाना है। कोरोना जैसी महामारी के समय में डिजिटलाइजेशन से शिक्षा के क्षेत्र में लाभ हुआ। अब यह बच्चे धोखा या जालसाजी के शिकार न हों इसका दायित्व शिक्षकों और अभिभावकों पर है।

By Jagran NewsEdited By: Brijesh SrivastavaUpdated: Wed, 09 Nov 2022 12:57 PM (IST)
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एंग्लो बंगाली इंटर कालेज के प्राचार्य स्वास्तिक बोस ने डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग सावधानी से करने की सलाह दी।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। डिजिटल प्लेटफार्म की सुरक्षा तकनीक प्रणाली की सुरक्षा तंत्र से संबंधित है। इसके लिए जागरूक होना समय की मांग है। आनलाइन बैंकिंग व अन्य सभी कार्य आजकल मोबाइल से संचालित होते हैं। ऐसे में बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। संसार में इंटरनेट का जाल फैला है। छोटी सी चूक आपके समस्त गोपनीय दस्तावेजों को असुरक्षित कर सकती है। यह कहना है प्रयागराज में एंग्‍लो बंगाली इंटर कालेज के प्रधानाचार्य स्‍वास्तिक बोस का।

एंग्‍लो बंगाली इंटर कालेज के प्रधानाचार्य स्‍वास्तिक बोस ने साझा किए अनुभव : एंग्‍लो बंगाली इंटर कालेज के प्रधानाचार्य स्‍वास्तिक बोस दैनिक जागरण के संस्‍कारशाला पर विचार व्‍यक्‍त कर रहे थे। बोले कि हमने वर्षों के अनुभव से यह समझा है कि हमारी एक सलाह बच्चों के गलत निर्णय की दिशा को बदल सकती है। आनलाइन कार्य करते समय बच्चों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे जानकारी के अभाव में सही गलत की पहचान न होना। हिंसा देखना, विद्रोही होना, आनलाइन धोखाधड़ी का शिकार होना। डिजिटल प्लेटफार्म, फुटप्रिंट के आधार पर आपको उसी दिशा में खींचता है, जो आप ढूंढ रहे होते हैं। इसके कुप्रभाव से बच्चे माता पिता, समाज से दूर होते चले जाते हैं।

प्रतिबंधित आनलाइन गतिविधियों में बच्‍चे शामिल न हों : स्‍वास्तिक बोस ने कहा कि जो आनलाइन गतिविधियां प्रतिबंधित हों उसमें बच्चे शामिल न हों, यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है। यह बच्चे के मानसिक विकास के लिए अत्यंत घातक है। इसलिए आनलाइन दुनिया में बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए अभिभावक और शिक्षकों को पहले खुद यह सीखना होगा कि वह इसकी चुनौतियों से कैस बचें। बच्चों को इन चुनौतियों और समाधान के लिए हमेशा सूचित करें और जागरूक भी। विद्यालय के काम के लिए सही तकनीक का प्रयोग करना सिखाएं। तकनीकी सुविधाओं पर रोक लगाने की अपेक्षा उन्हें सुरक्षित रूप से प्रयोग करने में सहायता करें। अवगत कराएं कि व्यक्तिगत जानकारी अधिक न साझी करें। इससे क्या-क्या नुकसान हो सकता है, अवगत कराएं। बताएं कि वास्तविकता तथा मिथक क्या है। प्रतिबंधित साइटों को साइनअप नहीं करें। विद्यालयों में समय-समय पर इन विषयों पर विद्यार्थियों की राय लें और सही निर्देश देते रहें।

अपने ब्राउजर से किसी अन्य को प्रयोग की अनुमति न दें : उन्‍होंने कहा कि जब भी संभव हो पासवर्ड वाले नेट कनेक्ट करने चाहिए। ऐसे नेटवर्क में जानकारी (डाटा) चोरी होने की संभावना कम रहती है। सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों से प्राप्त लिंकों पर क्लिक करते समय सावधानी बरतें। आपका बैंक आपके खाते आदि के विषय में पिन, ओटीपी आदि की जानकारी के लिए कभी काल नहीं करता। ऐसी काल आए तो सूचना तुरंत बैंक को दें। अपने ब्राउजर से किसी अन्य को प्रयोग की अनुमति न दें। नहीं तो गुप्त रूप से आपके व्यक्तिगत डाटा की चोरी कर गलत प्रयोग किया जा सकता है।

उन साइटों का प्रयोग करें जिनकी शुरूआत एचटीटीपी से होती है : स्‍वास्तिक बोस बोले कि अपनी जानकारी ईमेल पर भेजने से बचें। उन साइटों का प्रयोग करें जिनका प्रारम्भ एचटीटीपी से होता है। ऐसी वेबसाइट लाक आइकन के साथ होती है जिसका अर्थ है कि वेबसाइट सुरक्षित है। डिवाइस अपडेट करते समय महत्वपूर्ण डाटा को अलग से सेव न करें। फ्री के साफ्टवेयर को अपडेट करने से पूर्व उसकी प्रमाणिकता की जांच करें तथा विश्वसनीय साइटों का ही प्रयोग करें। वाई-फाई नेटवर्क का प्रयोग करते समय यह पक्का कर लें कि वह नेटवर्क कितना सुरक्षित है। बेबसाइट के एड्रेस, लोगो आदि का तुलनात्मक अध्ययन करने के पश्चात ही प्रयोग करें। डिजिटल सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है जागरूकता और सावधानी। इसलिए इसके प्रयोग में सावधानी का हमेशा ध्यान रखें। ऐसा करने पर ही हम अपने बच्चों, परिवार और समाज को डिजिटल सुरक्षा दे सकेंगे।

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