अयोध्या राम मंदिर में अर्चावतार की तरह होगी रामलला के अर्चनावतार की प्रतिष्ठा, राजपुत्र की गरिमा के अनुरूप होंगे स्थापित
अयोध्या में राजा राम के भव्य मंदिर में दिव्य रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों को अंतिम रुप दिया जा रहा है। 22 जनवरी को पीएम मोदी सहित हजारों संतों और लाखों भक्तों की मौजूदगी में रामलला अपने विग्रह में विराजमान होंगे। रामलला को राजपुत्र की गरिमा के अनुरूप स्थापित किया जाएगा। राम मंदिर में रामलला की स्थापना से पूर्व ही भक्तों में गजब का उत्साह नजर आ रहा है।
By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Fri, 01 Dec 2023 09:37 AM (IST)
रघुवरशरण, अयोध्या। अर्चावतार यानी अर्चना के लिए किसी प्रतिमा को प्राण प्रतिष्ठा के माध्यम से स्थापित करना। अर्चनावतार यानी अर्चना की किसी नित्य-नूतन पद्धति-परंपरा की प्रस्तुति। वैष्णव परंपरा के मंदिरों में आराध्य की प्राण प्रतिष्ठा के साथ अर्चावतार होते ही रहते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ भव्य राम मंदिर में भी अर्चावतार होगा, किंतु यहां अर्चावतार के साथ अर्चनावतार का भी अवसर होगा।
रामलला का पूजन-अर्चन प्रचलित विधि-विधान से कहीं आगे और पूर्णत: मौलिक होगा। वैष्णव परंपरा के प्राय: सभी मंदिरों में वैदिक संहिताओं के अनुरूप पूजन की व्यवस्था और कर्मकांड का निष्पादन होता है। रामलला के भी पूजन-अर्चन में वैदिक दिशा निर्देशों का पालन करने के साथ श्रीराम के पूजन की विधि का विशेष रूप से विवेचन करने वाली ‘अगस्त्य संहिता’, सात सौ वर्ष पूर्व रामानंदाचार्य से प्रस्तुत रामार्चन पद्धति तथा कुछ अन्य वैष्णव आगमों से भी मार्गदर्शन लिया जाएगा।
रामलला के पूजन-अर्चन की व्यवस्था तय करने वाली समिति के सदस्य एवं हनुमतनिवास के महंत आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण के अनुसार रामलला के अर्चन की आचार संहिता निर्मित करने में श्रीराम के अनन्य अनुरागी पहुंचे संतों के अनुभव का भी आश्रय लिया गया है। वह इस तरह के प्रयास का औचित्य भी परिभाषित करते हुए कहते हैं, त्रेता के बाद यह एक बार पुन: रामलला के अवतार का अवसर है और इस महत्वपूर्ण अवसर पर रामलला की पूजा का विधि-विधान भी प्रत्येक स्तर पर परिमार्जित होनी चाहिए।
रामलला की दिनचर्या गोदान से शुरू होगी
रामलला की परिमार्जित पूजा पद्धति कितनी विशद और विशिष्ट होगी, यह तो अर्चन की आचार संहिता प्रकाशित होने और 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के पूजन-अर्चन से सामने आएगी, किंतु तैयारी के अनुसार रामलला की दिनचर्या गोदान से शुरू होगी। तदुपरांत अर्चक उन्हें स्नान कराएंगे।स्नान के बाद पूजन और पट खुलने पर रामलला लोगों को दर्शन दें, इससे पूर्व उनका विधि-विधान से श्रृंगार भी किया जाएगा। रामलला के प्रति आदर-अनुराग पट खुलने के साथ होने वाली श्रृंगार आरती से भी परिलक्षित होगा। श्रृंगार आरती के कुछ ही देर बाद रामलला को बालभोग प्रस्तुत किया जाएगा। बालभोग के अलावा मध्याह्न रामलला के सम्मुख अर्पित होने वाले राजभोग से भी रामलला की चैतन्यता परिभाषित होगी।
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