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'मेरी सबसे बड़ी उपाधि तो...' स्वामी प्रेमानंद महाराज ने क्यों लौटाया Honorary Degree का प्रस्ताव

Swami Premanand Maharaj संत प्रेमानंद जी महराज (Swami Premanand Maharaj) ने छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय की मानद उपाधि लेने से मना कर दिया है। उन्होंने कहा कि राधारानी के भक्त की उपाधि के सामने सभी उपाधियां छोटी हैं। हम तो उपाधि मिटाने के लिए ही साधु बने हैं। उन्होंने आगे कहा कि मेरे संसार का जो स्वरूप भगवान का है मैं उसका दास हूं।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Mon, 09 Sep 2024 01:51 AM (IST)
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Swami Premanand Maharaj: संत प्रेमानंद जी महराज ने मानद उपाधि लेने से मना कर दिया है।(फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)

जागरण संववाददता, कानपुर। संत प्रेमानंद जी महराज (Swami Premanand Maharaj) ने छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय की मानद उपाधि लेने से मना कर दिया है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार यादव से उन्होंने कहा कि राधारानी के भक्त की उपाधि के सामने सभी उपाधियां छोटी हैं। हम तो उपाधि मिटाने के लिए ही साधु बने हैं।

कानपुर जिले के अखरी गांव में जन्मे प्रेमानंद ने कहा कि मुझे सबसे बड़ी उपाधि मेरे भगवान ने दे रखी है और बड़ी उपाधि पाने के लिए छोटी उपाधियों का त्याग करना पड़ता है।

'मैं सेवक सचराचर रूप स्वामि भगवंत'

उन्होंने कहा कि मेरे संसार का जो स्वरूप भगवान का है, मैं उसका दास हूं। आपकी सद्भावना है, लेकिन हम जिस उपाधि की बात कर रहे हैं उसके सामने यह उपाधि बहुत छोटी है। संत प्रेमानंद से मिलकर लौटे कुलसचिव ने बताया कि संत जी के दर्शन की अभिलाषा से वृंदावन के श्रीहित राधा केलि कुंज आश्रम गया था।

स्वामी जी ने प्रस्ताव को यह कहकर नकार दिया है कि उनके आध्यात्मिक जीवन में इसका मूल्य नहीं है और यह सांसारिक बाधा है।

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