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UP News: केंद्रीय योजनाओं के लिए यूपी को मिले थे 28,980.96 करोड़, खाते में ही पड़े रहे; नहीं किए जा सके खर्च

केंद्रीय योजनाओं के लिए राज्य को केंद्र की तरफ से 28980.96 करोड़ मिले थे जिसे खर्च नहीं किया जा सका। यह जानकारी सदन में गुरुवार को पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में दी गई है। यह राशि केंद्र सरकार ने प्रायोजित योजनाओं के लिए जारी किए थे। सीएजी रिपोर्ट में सशर्त अनुदान के सापेक्ष उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करवाने में गड़बड़ी का भी उल्लेख किया गया है।

By Manoj Kumar Tripathi Edited By: Aysha Sheikh Updated: Sat, 03 Aug 2024 12:27 PM (IST)
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खर्च नहीं की जा सकी केंद्रीय योजनाओं की पूरी राशि

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। केंद्रीय योजनाओं के लिए राज्य को मिले 28,980.96 करोड़ रुपये पिछले वर्ष खर्च नहीं किए जा सके। यह जानकारी सदन में गुरुवार को पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि केंद्र से मिली संबंधित राशि 31 मार्च 2023 तक एकल नोडल एजेंसी (एसएनए) के खाते में ही थी। यह राशि केंद्र सरकार ने प्रायोजित योजनाओं के लिए जारी किए थे।

सीएजी रिपोर्ट में सशर्त अनुदान के सापेक्ष उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करवाने में गड़बड़ी का भी उल्लेख किया गया है। वर्ष 2001 से लेकर सितंबर 2021 तक 19,981.24 करोड़ रुपये का सहायता अनुदान राज्य सरकार ने जारी किया था। इससे संबंधित 30,906 उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा ही नहीं किए गए हैं। सशर्त अनुदान योजना के तहत उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करवाना जरूरी होता है।

राज्य विद्युत विनियामक आयोग निधि के खाते में 111.14 करोड़ रुपये जमा न किए जाने पर भी सवाल उठाया गया है। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 103 के अनुसार आयोग के खाते में अनुदान सहित विभिन्न शुल्क व अन्य स्रोतों से प्राप्त होने वाली राशि को रखे जाने का प्रविधान है, लेकिन सरकार ने आयोग की निधि का गठन नहीं किया था। 31 मार्च 2023 तक 111.14 करोड़ की राशि राज्य के खाते से बाहर रखे जाने की व्यवस्था को सीएजी ने गलत बताया है।

रिपोर्ट में राज्य के सार्वजनिक क्षेत्रों के उद्यमों (एसपीएसइ) द्वारा निर्धारित समय में वित्तीय विवरण न प्रस्तुत करने को लेकर भी सवाल उठाया गया है। राज्य में 113 एसपीएसइ हैं। इनमें से छह निगमों के अलावा 86 सरकारी कंपनियां व सरकार नियंत्रित 21 कंपनियां शामिल हैं।

101 कंपनियों ने निर्धारित समय में वित्तीय विवरण पेश नहीं किया है। 39 कंपनियों के दिए वित्तीय विवरण के अनुसार, 2,169.50 करोड़ के कुल लाभ में से 89.14 प्रतिशत का लाभ केवल छह कंपनियों ने दिया है। 27 कंपनियों के दिए वित्तीय विवरण के अनुसार, 32,429.90 करोड़ की हानि में पांच ऊर्जा कंपनियों की हानि 31632.46 करोड़ रुपये दर्शाई गई है।

लगातार घाटे की वजह से 15 कंपनियों का निवल मूल्य (नेट वर्थ) ही समाप्त हो गया है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार को कंपनियों पर समय से वित्तीय विवरण पेश करने के लिए दबाव बनाना चाहिए। घाटे में चल रही कंपनियों के घाटे के कारणों का भी विश्लेषण करने की जरूरत है, जिससे उनके संचालन को कुशल और लाभदायक बनाया जा सके।

राज्य की कर प्राप्तियों में 18.43 प्रतिशत की वृद्धि

सीएजी की रिपोर्ट में वर्ष 2021-22 की तुलना में वर्ष 2022-23 में राजस्व प्राप्तियों में 12.46 प्रतिशत की वृद्धि बताई गई है, जबकि राज्य के स्वयं की कर प्राप्तियों में 18.43 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। गैर कर प्राप्तियों में 17.96, केंद्रीय करों व शुल्क में 5.85 तथा केंद्र सरकार से सहायता अनुदान में 15.56 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सरकार के राजस्व व्यय में 12.56 प्रतिशत, सामाजिक सेवाओं में व्यय पर 14.83 प्रतिशत, आर्थिक सेवाओं पर व्यय में 17.71 तथा सहायता अनुदान में 9.09 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

एसडीआरएफ के मद में कम राशि दी

सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य आपदा राहत निधि (एसडीआरएफ) व एसडीएमएफ के मद में केंद्र सरकार ने 628.40 करोड़ तथा राज्य सरकार ने 209.50 करोड़ रुपये कम दिए हैं।

लेबर सेस में निकली गड़बड़ी

रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि लेबर सेस के 47.33 करोड़ में से 40.10 करोड़ रुपये ही बीओसीडब्लू कल्याण बोर्ड के खाते में जमा करवाए गए। 7.23 करोड़ रुपये खाते में जमा नहीं करवाए गए हैं।

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