Janmashtami: श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर पहले ऊबड़-खाबड़ थी जमीन, क्या आप जानते हैं? अब लाखों की होती है भीड़
भव्य और दिव्य श्रीकृष्ण जन्मस्थान के भागवत भवन में आज जन-जन के आराध्य लाला के जन्मोत्सव पर लाखों की भीड़ जुटती है लेकिन कभी यहां गिनती के लोग कान्हा का जन्मोत्सव मनाते हैं। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर पहली बार वर्ष 1957 में जन्मोत्सव मना तब यहां बमुश्किल 70 लोग ही जुटे थे। 66 वर्षों में आज जन्मस्थान पर लाखों की भीड़ उमड़ रही है।
By vineet Kumar MishraEdited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Wed, 06 Sep 2023 05:03 PM (IST)
जागरण संवाददाता, मथुरा। भव्य और दिव्य श्रीकृष्ण जन्मस्थान के भागवत भवन में आज जन-जन के आराध्य लाला के जन्मोत्सव पर लाखों की भीड़ जुटती है, लेकिन कभी यहां गिनती के लोग कान्हा का जन्मोत्सव मनाते हैं। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर पहली बार वर्ष 1957 में जन्मोत्सव मना, तब यहां बमुश्किल 70 लोग ही जुटे थे।
66 वर्षों में आज जन्मस्थान पर लाखों की भीड़ उमड़ रही है। पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया बताते हैं कि जिस स्थान पर आज भव्य मंदिर बना है, वहां पहले ऊबड़-खाबड़ जमीन थी। आसपास जंगल था। उस वक्त यहां पर एक स्थान को कृष्ण चबूतरा कहते थे। तब शहर की प्रमुख संस्थाओं से जुड़े लोग यहां श्रमदान कर इसे समतल करने में जुटे थे।
वर्ष 1957 में यहां पर कृष्ण का जन्मोत्सव मनाने की योजना लोगों ने बनाई। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से करीब एक सप्ताह पूर्व इसी स्थान पर हाथरस के कवि गोपाल प्रसाद व्यास की अगुवाई में कुछ लोग जुटे और तय हुआ कि हम काव्य गोष्ठी और संबोधन का कार्यक्रम में रखेंगे।श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर फूलचंद्र टेंट वालों के नेतृत्व में काव्य गोष्ठी हुई। सभी रचनाएं भगवान श्रीकृष्ण पर आधारित थीं। इसके अलावा कृष्ण पर भजन प्रस्तुत किए गए और फिर लोगं ने कृष्ण के बारे में अपने-अपने विचार व्यक्त किए। वह बताते हैं कि यह सभी कार्यक्रम दिन में हुआ। तब आयोजकों में करीब 25 लोग और करीब 45 यहां कृष्ण चबूतरे पर दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु शामिल थे। 1958 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान स्थान पर ठाकुर केशवदेव मंदिर का निर्माण हुआ। तब नियमित रूप से जन्मोत्सव मनाया जाने लगा। तब हजारों में संख्या होती थी, अब लाखों में पहुंच गई है।