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ओम नम: शिवाय : श्री द्रोणाचार्य मंदिर, दनकौर

श्री द्रोणाचार्य मंदिर जिले का प्राचीन मंदिर है। यह दनकौर कस्बे के मुख्य मार्ग पर स्थित है। यहां गुरु द्रोण की मूर्ति के अलावा शिव परिवार समेत अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं।

By JagranEdited By: Updated: Wed, 27 Jul 2022 07:29 PM (IST)
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ओम नम: शिवाय : श्री द्रोणाचार्य मंदिर, दनकौर

श्री द्रोणाचार्य मंदिर जिले का प्राचीन मंदिर है। यह दनकौर कस्बे के मुख्य मार्ग पर स्थित है। यहां गुरु द्रोण की मूर्ति के अलावा शिव परिवार समेत अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। सुबह-शाम काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में होने वाले भजन-कीर्तन में शामिल होते हैं। सावन में मंदिर को रंग-बिरंगी लड़ियों से सजाया गया है। सावन में प्रसाद वितरण और भंडारा का आयोजन भी होता है। इतिहास

मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना कालिदी कुंज के तट पर भील युवराज एकलव्य ने की थी। मंदिर में द्रोणाचार्य की मूर्ति आज भी विराजमान है। मंदिर परिसर में सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। सावन में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। विशेष आरती, भजन-कीर्तन और प्रसाद भंडारे का आयोजन होता है। विशेषता

एकलव्य द्वारा स्थापित श्री द्रोणाचार्य मूर्ति मंदिर में आकर जो श्रद्धालु सच्चे मन से मनोकामना मांगते हैं, वह अवश्य पूर्ण होती है। प्रतिदिन पूजा-अर्चना और आरती के दौरान काफी संख्या में दूरदराज कस्बे और गांव के श्रद्धालु आते हैं । सावन के दिनों में रोजाना विशाल आरती और भजन गायन होता है। पूजा-अर्चना के बाद विशेष प्रसाद का वितरण होता है। रेल व सड़क मार्ग से मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। मंदिर से निकटतम रेलवे स्टेशन दनकौर है। मंदिर से बिलासपुर होते हुए दनकौर स्थित द्रोणाचार्य मंदिर 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। -------------- श्री द्रोणाचार्य मंदिर परिसर में सभी देवी-देवताओं का एक परिसर में समागम है। देवी-देवताओं के दर्शन एक साथ एक ही स्थान पर होने से मंदिर परिसर में भक्त खिंचे चले आते हैं। एकलव्य उद्यान, श्रापित तालाब, एकलव्य द्वारा स्थापित श्री द्रोणाचार्य मूर्ति की विश्व में एक अलग पहचान व महत्व है। सावन माह में अन्य राज्यों के श्रद्धालुओं का यहां तांता लगा रहता है।

-पंडित पंकज कौशिक, श्रद्धालु, कस्बा दनकौर

मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। सावन पर सभी विराजमान देवी-देवताओं के दर्शन के लिए ग्रामीणों की कतार लगती है। बड़ी संख्या में शिवभक्त यहां जल चढ़ाने आते हैं। विशेष पूजा-अर्चना, प्रसाद वितरण और भंडारा आदि की व्यवस्था सावन माह में की जाती है।

-पंडित आचार्य अमित मिश्रा, मंदिर पुजारी।