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सनातन के दीप-श्रद्धा की बाती: देश में धूमधाम से मनाई गई देव दीपावली, सीएम योगी ने भी जलाए दीप; विदेशी मेहमानों ने भी शिरकत की

आकाश में पूर्णिमा के चांद को साक्षी बना जब नमो घाट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पंचगंगा घाट पर रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य ने महारानी अहिल्याबाई द्वारा स्थापित हजारा दीप जलाए तो फिर घाट दर घाट ज्योति कलश उमग पड़े। घाटों से लेकर कुंड-सरोवरों तक जलाए गए 21 लाख दीपों में गोमाता के गोबर से बने एक लाख दीये पर्यावरण संरक्षण को समर्पित रहे और आतिशबाजी ने भी यही संदेश दिया।

By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Tue, 28 Nov 2023 07:20 AM (IST)
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देश में धूमधाम से मनाई गई देव दीपावली, सीएम योगी ने भी जलाए दीप

भारतीय बसंत कुमार, वाराणसी। स्वमेव आमंत्रित देस की उपस्थिति में काशी के गंगा घाटों पर कार्तिक की इस वर्ष की अंतिम सांझ सनातन के दीप और श्रद्धा की बाती से चतुर्दिक जगमग हो उठी। आकाश में पूर्णिमा के चांद को साक्षी बना जब नमो घाट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पंचगंगा घाट पर रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य ने महारानी अहिल्याबाई द्वारा स्थापित हजारा दीप जलाए तो फिर घाट दर घाट ज्योति कलश उमग पड़े।

‘बृहदारण्यकोपनिषद्’ के श्लोक के भाव ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ की सत्ता नमो घाट से डग भर कर रविदास घाट और उससे आगे तक प्रकाशपुंज की निर्मिति करती रही। अभी षष्ठी को सूर्यदेव की अभ्यर्थना में गंगा तट पर कतार थी, फिर एकादशी पर श्रीहरि के योगनिद्रा से जागरण का उत्सव यहां मना और सोमवार को तो मानो पूरा देश देव दीपावली मनाने उमड़ पड़ा।

70 देशों के मेहमानों ने शिरकत की

खास यह कि अबकी 70 देशों के मेहमानों ने भारत के इस दीप आभा पर्व का साक्षात्कार किया। लोक के इस उत्सव को लोक ने ही खड़ा किया है। यह सुखद है कि इसी माह योगी सरकार ने देव दीपावली को प्रांतीय मेला का दर्जा दिया है। राजा चेत सिंह किला की दीवारों पर लेजर शो में काशी-विश्वनाथ-गंगा का दर्शन जीवंत हुआ तो श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के इतिहास से लेकर नव्य-भव्य स्वरूप में आने की गाथा गंगा द्वार पर प्रोजेक्शन शो में उभर कर सामने आई।

दशाश्वमेध घाट पर गंगा महाआरती में राम भक्ति और राष्ट्रवाद की झलक दिखी

गंगा के घाटों से लेकर कुंड-सरोवरों तक जलाए गए 21 लाख दीपों में गोमाता के गोबर से बने एक लाख दीये पर्यावरण संरक्षण को समर्पित रहे और आतिशबाजी ने भी यही संदेश दिया। बाबा के धाम के ठीक सामने रेती में ‘हर-हर शम्भो’ का घोष करते शानदार क्रैकर शो ने लोगों को बांधे रखा। दशाश्वमेध घाट पर गंगा महाआरती में राम भक्ति और राष्ट्रवाद की झलक दिखी।

बटुक और अर्चकों के मंत्रोच्चार, घंटा-घड़ियाल, डमरू दल की डमक-डमक, झाल-मृदंग की टनकार से दिशाएं गूंजीं। घाटों पर शिवाजी के ‘हिंदवी स्वराज’ के प्रताप के भी दर्शन हुए तो गुरुनानक देव और प्रभु पार्श्वनाथ के जीवन-संदेश का प्रकाश भी फैला। सुबह महात्मा बुद्ध का स्मरण भी हुआ। दुनियाभर के उनके अनुयायियों ने भव्य शोभायात्रा निकाल कर सारनाथ से विश्व शांति का संदेश सुनाया। बनारस में गंगा के घाट अर्द्धचंद्राकार हैं। दीये से निकली स्वर्ण रश्मियों ने मानो मां गंगा के गले में चंद्रहार सजा दिया।

दोपहर में दशाश्वमेध घाट को आरक्षित कर लिया गया था

सोमवार को पौ फटने से पहले ही लोगों द्वारा धुलने लगे थे काशी के 88 घाट। कार्तिक पूर्णिमा के स्नान का पुण्य बटोरने सुरसरि तट के स्नान घाटों पर घनीभूत भारत आ बसा था। सर्वाधिक जुटान दशाश्वमेध घाट पर स्नान के लिए होती है, लेकिन गंगा आरती की तैयारी को लेकर दोपहर में इस घाट को आरक्षित कर लिया गया था। घाटों को गंगा जल से धुलतीं, सिंदूर से पूजतीं, बारंबार हाथ जोड़कर परिवार और अखंड सौभाग्य की कामना करतीं माताओं की उपस्थिति से घाटों की अपूर्व शोभा दिनभर बनी रही।

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विराट सहभागिता का सबसे बड़ा महोत्सव है देव दीपावली

विराट सहभागिता का सबसे बड़ा महोत्सव है देव दीपावली। लाखों हाथ मिलकर सफाई करते हैं और फिर यही लाखों हाथ दीया बारते हैं। चार दशक पूर्व पंचगंगा घाट से काशी नरेश विभूति नारायण सिंह की अगुआई में शुरू हुई एक लघु परंपरा का आकाशीय वैभव लोक में परंपरा के बचे होने की आश्वस्ति है। गोदौलिया चौराहे पर सिंदूर बेच रहा एक बालक बताता है कि वह बाराबंकी का अल्ताफ है और सुबह से शाम तक करीब सात सौ रुपये का सिंदूर बेच चुका है। करीब आठ किलोमीटर तक अनवरत लाखों दीये का तिलक सजा है।

गंगा के उस पार रेती में असंख्य दीप, आकाश में लेजर शो की किरणें और इस पार घाटों पर प्रदीप्ति सब मिलकर गंगा में उच्छवासित उल्लास का लोक। प्रकाश यानी कि सत्य के पथ पर उन्मुख होना ही वास्तविक साधना और अध्यात्म है। देव दीपावली पर काशी का विश्व को यही संदेश होता है। असत्य से सत्य की ओर, मृत्यु से अमरता की ओर का प्रस्थान बिंदु है यह लोक पर्व।