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Gyanvapi Case: 'अब ज्ञानवापी में पूजा होनी चाहिए', नमाज बंद कराने को कोर्ट जाएगा मंदिर पक्ष

Gyanvapi Case ASI सर्वे में 32 शिलालेख मिले हैं जो वहां पहले हिंदू मंदिर होने के स्पष्ट प्रमाण हैं। तीन शिलालेखों (48 व 29) पर महामुक्तिमंडप का उल्लेख भी मिला है। एएसआइ ने अपनी रिपोर्ट में इसे काफी महत्वपूर्ण बताया है। महामुक्तिमंडप शिव के निवास के अस्तित्व को सिद्ध करने में मदद करता है। इसका वर्णन प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Sat, 27 Jan 2024 12:11 AM (IST)
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Gyanvapi Case: 'अब ज्ञानवापी में पूजा होनी चाहिए' (File Photo)

जागरण संवाददाता, वाराणसी। वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर प्रकरण में मंदिर पक्ष के अधिक्ता विष्णु शंकर जैन ने शुक्रवार को कहा कि एएसआइ सर्वे की रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि वहां पहले विशाल मंदिर था और उसके अवशेष पर मस्जिद बनवाई गई है। इसलिए वहां पूजा-पाठ होनी चाहिए, नमाज नहीं। ज्ञानवापी में नमाज बंद कराने के लिए हम अदालत में प्रार्थना पत्र देंगे।

एएसआइ सर्वे की रिपोर्ट

उन्होंने यह भी कहा है कि ज्ञानवापी स्थित पानी की टंकी (वुजूखाना) के एएसआइ सर्वे की मांग भी करेंगे। पूर्व में हुई एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान पानी टंकी से शिवलिंग की आकृति मिली थी। मंदिर पक्ष का कहना है कि वह शिवलिंग है जबकि मस्जिद पक्ष उसे फव्वारा बताता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से फिलहाल पानी टंकी का क्षेत्र सील है।बता दें, जिला जज के आदेश पर एएसआइ सर्वे की रिपोर्ट गुरुवार को सभी पक्षकारों को सौंप दी गई।

मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई गई

इसके बाद विष्णु शंकर जैन ने प्रेस कान्फ्रेंस कर बताया कि रिपोर्ट के अनुसार ज्ञानवापी पहले विशाल मंदिर था। इस बात के पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं कि औरंगजेब के आदेश पर उसे तोड़कर वहां मस्जिद बनवाई गई। मस्जिद के निर्माण में मंदिर के खंभों के साथ ही अन्य हिस्सों का बिना ज्यादा बदलवा किए उपयोग किया गया। कुछ खंभों से हिंदू चिह्नों को मिटाने का प्रयास किया गया है।

32 शिलालेख हिंदू मंदिर के स्पष्ट प्रमाण

सर्वे में 32 शिलालेख मिले हैं, जो वहां पहले हिंदू मंदिर होने के स्पष्ट प्रमाण हैं। तीन शिलालेखों (4,8 व 29) पर महामुक्तिमंडप का उल्लेख भी मिला है। एएसआइ ने अपनी रिपोर्ट में इसे काफी महत्वपूर्ण बताया है। महामुक्तिमंडप शिव के निवास के अस्तित्व को सिद्ध करने में मदद करता है। इसका वर्णन प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। शिलालेखों पर देवनागरी, तेलुगु और कन् ड़ में आलेख लिखे हैं।

घंटियों से सजाया गया स्तंभ और दो मीटर चौड़ा कुआं मिला है। मस्जिद की पश्चिमी दीवार पूरी तरह हिंदू मंदिर का हिस्सा है। शिलालेखों पर मंदिरों में पाई जाने वाली संरचना, देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी हुई हैं। मंदिर पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार ज्ञानवापी में वर्तमान में मौजूद इमारत का आधार ही विशाल मंदिर के अवशेष पर टिका बताया गया है।

जिन खंभों पर इमारत टिकी है, उस पर कमल, स्वास्तिक के चिह्न, घंटी आदि हिंदू मंदिर होने का स्पष्ट प्रमाण हैं। इसलिए अब किसी संदेह की गुंजाइश नहीं रही कि ज्ञानवापी पहले हिंदू मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई। इसलिए वहां नमाज क्यों होनी चाहिए। हम वहां नमाज को रोकने की मांग को लेकर जल्द ही अदालत में अपील करेंगे। साथ ही वहां मिले शिवलिंग के पूजा का अधिकार भी मांगेंगे।

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