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सबसे तीव्र गति से पिघल रहा गोमुख ग्लेशियर, जलधाराओं की अविरलता पड़ जाएगी खतरे में

ग्लेशियशिलाजी के विशेषज्ञ डॉ. अनिल कुमार गुप्ता की मानें तो गोमुख ग्लेशियर खतरनाक गति से पिघल रहा है। यही हालात रहे तो जलधाराओं की अविरलता खतरे में पड़ जाएगी।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 08 Jun 2019 02:47 PM (IST)
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सबसे तीव्र गति से पिघल रहा गोमुख ग्लेशियर, जलधाराओं की अविरलता पड़ जाएगी खतरे में

देहरादून, जेएनएन। विश्वविख्यात जियोलाजिस्ट और ग्लेशियशिलाजी के विशेषज्ञ डॉ. अनिल कुमार गुप्ता की मानें तो गंगोत्री (गोमुख) ग्लेशियर खतरनाक गति से पिघल रहा है। अगर यही हालात रहे तो गंगा समेत तमाम जलधाराओं की अविरलता खतरे में पड़ जाएगी। इसके पीछे विश्वव्यापक ग्लोबल वारमिंग रुझान काम कर रहा है। गंगोत्री का ग्लेशियर सबसे तीव्र गति से पिघल रहा है। यहीं से भागीरथी का उदय होता है। यह बात वाडिया इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक डॉ. गुप्ता ने शनिवार को वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में तीन दिवसीय जियो-रिसर्च स्कॉलर्स मीट के दूसरे दिन कही।

उनका कहना है कि तापमान जिस तरह बढ़ रहा है वह धरती के अस्तित्व के लिए खतरनाक है। हर वर्ष तापमान में इजाफा हो रहा है। तापमान बढ़ता है तो बर्फ पिघलती है। लेह लद्दाख समेत बालटिस्तान में स्नो हारवेस्टिंग पर काम चल रहा है। इसके साथ ही जिस संख्या में सैलानी व पर्वतारोही गंगोत्री व गोमुख जा रहे हैं उससे भी तापमान बढ़ रहा है। वहां के कुदरती वातावरण पर सूक्ष्मता से असर हो रहा है।

फिर माइक्रो क्लाइमेट पर इंपेक्ट पड़ रहा है। इसलिए वहां पर सैलानियों की आवाजाही को रेगुलेट करने की आवश्यकता है। हमें बड़े-बड़े बांधों के बजाय छोटे व सूक्ष्म बांधों की तरफ ध्यान देना होगा। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ शुक्रवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की संयुक्त सचिव अंजू भल्ला, वाडिया संस्थान के निदेशक डॉ. कलाचंद सांई व यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल ने संयुक्त रूप से किया।

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