पूरे शहर को अराजकता की आग में जलाने की थी साजिश, उपद्रवियों के खतरनाक इरादों को भांपने में नाकाम रहीं खुफिया एजेंसियां
बनभूलपुरा में अराजक तत्वों के मंसूबे काफी खतरनाक थे। उनकी मंशा न सिर्फ पुलिसकर्मियों को घेरकर मारने की थी बल्कि शहर को भी अराजकता की आग में जलाने की थी। इसी मंशा से बनभूलपुरा थाने को चारों ओर से घेरकर आग के हवाले किया गया और अंदर बैठे पुलिसकर्मियों पर पेट्रोल बम से हमला किया गया ताकि वह बाहर न निकल सकें।
आशुतोष सिंह, हल्द्वानी। बनभूलपुरा में अराजक तत्वों के मंसूबे काफी खतरनाक थे। उनकी मंशा न सिर्फ पुलिसकर्मियों को घेरकर मारने की थी, बल्कि शहर को भी अराजकता की आग में जलाने की थी। इसी मंशा से बनभूलपुरा थाने को चारों ओर से घेरकर आग के हवाले किया गया और अंदर बैठे पुलिसकर्मियों पर पेट्रोल बम से हमला किया गया, ताकि वह बाहर न निकल सकें।
प्रशासन उनके खतरनाक इरादों को भांपने में पूरी तरह विफल रहा। वह तो गनीमत थी कि गांधीनगर के लोगों ने समय रहते मोर्चा संभाल लिया और पत्रकारों समेत सैकड़ों पुलिसकर्मियों को बचा लिया। जांच इस बात की भी चल रही है कि कहीं इसके पीछे किसी प्रतिबंधित संगठन का हाथ तो नहीं है।
जो कुछ भी हुआ, पहले से सुनियोजित था
नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना एवं एसएसपी प्रहलाद नारायण मीना ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि बनभूलपुरा में गुरुवार को जो कुछ भी हुआ, वह पहले से सुनियोजित था। उपद्रवियों ने महिलाओं और बच्चों को आगे कर दिया और स्वयं उनके पीछे से हमला करते रहे।पुलिस अधिकारी घटनाक्रम की आशंका पहले से जता रहे थे
डीएम-एसएसपी के इस बयान के मायने काफी गंभीर हैं, लेकिन सवाल यह है कि खुफिया एजेंसियों को इस बात की भनक पहले क्यों नहीं लगीं। कुछ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस घटनाक्रम की आशंका वह पहले से ही जता रहे थे, लेकिन प्रशासन ने कार्रवाई में इतनी जल्दबाजी कर दी कि उन्हें ठोस रणनीति बनाने का मौका ही नहीं मिला।
पुलिस-प्रशासन की टीम के बीच सामंजस्य का अभाव
जब भी पुलिस इस प्रकार के किसी मिशन पर काम करती है तो सबसे पहले संबंधित क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों के बारे में पूरी टीम को ब्रीफ किया जाता है, लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। पुलिस व प्रशासन की टीम के बीच सामंजस्य का घनघोर अभाव दिखा। यही वजह है कि जब पथराव शुरू हुआ तो पुलिसकर्मियों को समझ में ही नहीं आ रहा था कि बचकर भागना किधर है। गनीमत रही कि किसी स्थानीय व्यक्ति ने पुलिसकर्मियों को गांधीनगर की ओर भागने का सुझाव दे दिया और गांधीनगर के लोग पुलिस को बचाने के लिए सड़कों पर उतर आए।
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